2011/12/18

दुआयें मांगती हूँ ..........

दुआ मै मांगती हूँ की तूँ मुझको मिल जाये -२
खयाल दिल से अब जुदाई का निकल जाये !
तम्मनायें जो दिल में है वो हमको हो हासिल ,
वफायें की है बहुत अब वफायें मिल जाये !
इश्क़ के रस्ते है अकेले सफर नहीं होता ,
मेरी रज़ा है ये कि संग तूँ भी चल जाये !
ईक तस्वीर है तेरी जो है मेरे दिल में ,
तूँ सामने आ जाये और तस्वीर से निकल जाये !
मुझे ये मंजीले बडी दूर नजर आती है ,
तेरे साथ पता क्या कब सफर निकल जाये !
मै सोच भी लू जो तुझसे जुदाई का,
मुझे ये लगता है बस अब दम निकल जाये !
में किसी और की हो जाऊ ये हो नहीं सकता ,
और ये भी हो नहीं सकता कि कोई और मुझको भा जाये !
तूँ मेरा है या मुझको यूँ ही तडपना होगा ,
ईक बार आये तूँ और ये कह के निकल जाये !
फिर भले तूँ आये या ना आये मेरे जीवन में ,
तेरी यादों के सहारे ही जिन्द्गी निकल जाये !
तूँ अगर मिल भी जाये उसके रहम-ओ-करम से ,
मेरी तो जिन्द्गी ही तमाम बदल जाये !
अगर तूँ ना मिले जो तेरी रज़ा ना हो तो ,
तेरे इंतजार में ऊम्र तमाम निकल जाये !
में जिन्दा हुं कि तूँ है मेरे ख्यालों में,
मै मर जाउंगी अगर तूँ ख्यालों से निकल जाये!
मगर मे फिर भी ये दुआयें करती रहूंगी ,
मुझे दो-चार बार ओर जन्म मिल जाये!
ना नसीब में हो मेरे तूँ इस बार अगर,
अगले हर जन्म में “सागर “ मुझको तूँ मिल जाये !


2011/10/11

।। मय ।।

इश्क़ में मेरा यार मुझको सौगात ऐसी दे गया ।।
होंठो पे हंसी , दिल को दर्द की आग़ोशी  दे गया ।।
बातें होने लगीं जग में ,खुद हो गया चुप वो साकी  ,
ऐसी मय पिलाई,में झूमता रहू ऐसी मद-होसी दे गया ।।

2011/09/11

मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......

मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......
क्या आज तुझको हमारी याद आयी है ,
दर्द है क्या जो तेरी आँख भर आयी है,
तू तो रोता न था बनता बड़ा कठोर था,
देखते क्या नयी ये तुझमे नरमाई है !

मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......
दर्द ऐसा भी क्या जो तुझसे सहन हो न पाया,
क्या बातें ऐसी जो जुबां पे आ न पायी ,
तेरे चहरे पे जो दिखता था वो गुरुर कहा है
क्यों डर की छाया तेरे चेहरे पे छाई है,

मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......

क्यों  रहता है एकाकी दिल मैं टीस क्या है,
घुमड़ते गम के बादलों ने क्या हूक लगायी है ,
तेरी  तन्हाई न ले ले जान कहीं तेरी !
क्यों  जिंदगी ने मौत से  कर रखी लड़ाई है,

मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......

 कुछ समझ  में  नहीं आता जाऊं कहाँ ,
क्या  करूँ क्या नहीं बताऊँ किसे  मैंने पूछा ,
मुझको भी नहीं समझ आया अभी तक,
मेरी मौत क्यों आंसुओ से नहाई है!

 जब 
     मेरे आंसुओ की बूंदों ने मुझसे पूछा .......


2011/07/24

मुश्किल है........

भय लगता है डर लगता  है ;
जाने किस से दिल डरता है ,
सीने मैं धक् धक् सी है ,
मन जाने किस बात से चिंतित है ,
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है -२ !

रोम -रोम में सिरहन सी है ;
अंग अंग में कंपकंपी,
रोम -रोम में सिरहन सी है ;
अंग अंग में कंपकंपी,
तन मन में एक चुभन सी है ,
जाने कैसी उलझन है !
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है -२ !

समझ में न कुछ आ रहा ,
इधर जाऊं या उधर रुकू ,
ये करू या वो करू ,
जाने कैसी मुश्किल है ,
हर पल मन चिंतित रहता है ;
पहेली कैसी अनबुझ है ,
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है ;
पर लगता है मुश्किल है !






2011/06/24

जन्मदिन मुबारक............

कभी कलियों  की तरह ढल जाती हो तुम
कभी फूलों सी खिल जाती हो तुम 
मैं चाहे होऊं कितना भी  उदास
आ जाती है मुस्कान  जब दिख जाती हो तुम !

तुम्हारे बिना बड़ा अकेला सा लगता है
रोनक आ जाती है जब आ जाती हो तुम
मेरे आंसू  भी बदल जाते है मोती में
जब मुझे मनाकर हंसाती हो तुम !

मेरी जिन्दगी में कुछ नजर नहीं आता
मुझको जब नजर नहीं आती हो तुम
तुम्हारे जन्मदिन पे लगता है ऐसा
दोबारा जन्म लेके आ जाती हो तुम !

दुआ है मिले हर ख़ुशी  तुमको  ऐसे
जैसे हर बार और निखर जाती हो तुम
मनाता रहू तुम्हारा जन्मदिन उम्र भर ऐसे
और यूँ ही मुस्कुराती रहो तुम !

जन्मदिन मुबारक हो ...........

2011/06/02

ज़ादू........

सीधे दिल पे असर करती तेरी हर बात का ज़ादू,
जज़्बात मैं दुबे हुए ख्यालात का ज़ादू ,
डूबा है मोहब्बत में तेरी; दीवानी मेरा दिल ,
होता है अब मालूम क्या है तेरे प्यार का जादू !
 
शबनम की गिरती हुयी बरसात का ज़ादू,
दीखता है कोहरे से भरी ठंडी रात का ज़ादू ,
बाँहों में तेरी बाहें और आँखों मैं हो दोनों गुम,
हिलते ही नहीं लब और होती हुई बात का ज़ादू ! 

कहता है मन की सुनता रहू उम्र भर ,
तेरे सुर्ख होटों से रिसते अल्फ़ाज का  ज़ादू,
संगीत मैं कमो-बेश हो सकती है कैफ़ियत,
कम नहीं होता तेरी चहचहाट मैं सुर ताल का ज़ादू !

सागर को तो भाता है तेरे अंदाज का ज़ादू,
तुम हो बड़े ख़राब ये इल्जामात का ज़ादू ,
सर्दी से भरी रात और तेरी गर्म सांसो का साथ  ,
दिल धड़कता है तेरे साथ ये है तेरे मिजाज़ का ज़ादू !

2011/04/29

दोस्ती का सिला..........

उम्र के लिए शिकवा और गिला दे दिया ;
दोस्तों न दोस्ती का सिला दे दिया .......
मांगी थी ख़ुशी कुछ पल के लिए ;
उम्र भर के गमो का काफिला दे दिया .....
वो जो पीते थे जाम,मैयखानों  में साथ ;
भर के जहर का पैमाना  दे दिया .......
दुश्मनों से क्या  शिकायत करे   ;
दोस्तों न ही शिकायत का  मौका दे दिया .....
जिस को बताया राज परदे के पीछे का ;
उसने ही राज को बेपर्दा कर दिया .......
हर किसी पे नजर थी मेरी महफ़िल में ;
कंधे पे रख के हाथ छुरा घोंप दिया ............
मैं कहाँ  मरने वाला था सागर .;
जान थी जिस पंछी मैं मेरी वो ही मर गया  ...........



2011/04/10

है मोहब्बत कितनी तुझ से..............

देखे न और कोई तुझे मेरे सिवा मैं ये चाहती हूँ ,
तुझे छुपा के ज़माने से;सीने से लगाना चाहती हूँ ,
तू रहे सदा मेरा बन के ,और रहे मेरे दिल के करीब,
तुझ को देख कर जीना ,तेरे सामने ही मर जाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

दिल के आरमान जाने तेरे साथ कहा जाने को कहते है ,
हाथ पकड़ के साथ तेरे आसमानों मैं उड़ जाना चाहती हूँ ,
तेरी बन के जीना ,तेरी ही मर जाना चाहती हूँ,
तू आजमाए न आजमाए; मैं खुद को आजमाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

मैं तन्हा हूँ तेरे बिना ,मेला भी विराना सा लगता है ,
तूं नहीं होता तो हमको सारा जहाँ बेगाना सा लगता है ,
बीना तेरे जीना,सोच कर भी कांप जाती हूँ मैं ," सागर "
सारी जिन्दगी साथ तेरे ;तेरी हो के बिताना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

2011/04/03

किस्सा नए जूतों का

घूमने निकले हम बाज़ार में इक दिन ,
चमक रहे थे नए नए जूते हमारे पाँव में !
चमकते जूतों को देख कर मित्र हमारा हैरान होकर बोला,
चप्पल की जगह जूते ? क्या है भईया  गड़बड़ झाला ?.....
अरे ओ दया के पात्र कविराय,क्या कविता कहीं कोई बेच आये हो ?
तभी तो टूटी चप्पल छोड़ कर ,नए जूते पहन आये हो !
मैंने कहा भईया आजकल सलाह देने वाले बहुत है ,
मेरी कविता भले क्यों ख़रीदे कोई,मरने को तो जरिये और बहुत है !!
किसी नैक दिल श्रौता की सलाह का परिणाम है ,
जिसकी वजह से नए जूतों पे मेरा नाम है !
उसने पूछा ऐसी कोन सी सलाह दे दी जो निहाल हो गए ?
जिससे गंगू तेली से राजा भोज जैसे हाल हो गए !
हमने कहा किसी ने सलाह दी हमको 
की हे कवि क्यों गलियों में मारे- मारे  फिरते हो ?
किसी कवि समेलन में क्यों नहीं मरते हो ?
उसने पूछा फिर ?
हमने बताया फिर क्या
किसी ने  कवि सम्मलेन है कही पर ऐसा बताया ,
हम पहुँच गए वहां पर और भाग्य आजमाया !
बारी जब हमारी आई तो हमने आपना हुनर दिखाया ,
जैसे ही हमने कविता पाठ सुरु किया ; हमने पाया !
इस महान कवि का कोई सम्मान नहीं करता था ,
एक जूता या एक चप्पल ही फेंका करता था  !
अंडे टमाटर भी कुछ तो फूट जाते ,और कुछ ही काम आते थे ,
रोटी के ही लगते थे ,सब्जी के तो पैसे बच जाते थे !
उस दिन किसी श्रौता ने पहली बार बुद्धिमता दिखाई ,
दोनों जूते फैंक कर किस्मत मेरी जगाई ,भईया लाखो दुआएं पाई !
ये थी सारी कहानी जो हमने " सागर "तुमको सुनाई है ,
इसी लिए कवि की ये सवारी नए जूतों के साथ आई है ! 

2011/03/02

हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .......!

हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता 
घाव न करे चुभकर ,मगर ऐसा भी कोई छुरा नहीं होता !
हाथ पकड़ कर कभी तो रास्ते पे लाता है,
और कभी  रास्तों की अड़चन बन जाता है !
धोख देता है वही जिसपे विश्वास अधूरा  नहीं होता !
हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .......!

दिल के दर्द को जिसे हमदर्द  समझकर बताते है ,
अपना समझ कर जिसे सिने से लगाते  है ,
तोड़ कर उम्मीदे धोखा देते है वही लोग,
ऐसे लोगो को क्या खौफ खुदा का जरा नहीं होता !
हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .......!

सपनो मैं क्यों हम अपनी जिन्दगी सजाते है ,
है जिन्दगी सपनो से लम्बी ये समझ नहीं पाते है ,
क्यों सपना हर रोज देखने की बेताबी आँखों को ,
जबकि है पता की हर सपना पूरा नहीं होता !
हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .......!

हर किसी का न हाथ पकड़ना अब ,
मौका ही न दे अब किसी को विशवास घात का,
मंजिले तुझे खुद ही तलाशनी पड़ेगी " सागर " यहाँ ,
कोई किसी की मंजिलों का रह्बरा नहीं होता !
हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .....
घाव न करे चुभकर भी मगर ऐसा कोई छुरा नही होता 
हर शख्स सामने वाला बुरा नहीं होता .......!

2011/02/20

मन्दिर-ऐ-दिल

वो काफ़िर नहीं जो नाम खुदा का नहीं लेता;
काफ़िर तो वो है जो इन्कार मोहब्बत से करता है !
नसीब तुझे जन्नत होगी या नहीं क्या पता ;
जन्नत बनी है उसके लिए जो प्यार करता है !
खोट दिल मैं है तो लाख कोशिशे कर ले ,
तू मुखातिब न हो सकेगा जो प्यार दिल से करता है !
साथ महबूब का मिले तो भले ये दुनिया छूटे ,
सिर्फ सोचता है उसको,फ़िक्र महबूब की करता है !
न मंदिरों मैं भगवान्,मस्जिदों मैं कहाँ खुदा मिलता है ;
वो तो प्यार करने वालों के मन्दिर-ऐ-दिल मैं रहा करता है !
अजीब है " सागर " भी ऐ ज़माने वालों दीवाना ;
खाया है धोखा फिर भी मोहब्बत किया करता है !
 





2011/02/09

ज़िन्दगी क्या है.................

ज़िन्दगी क्या है ,इक आभाव है
वस्तुओं का , कामनाओ का , इच्छाओं का ,
या के बहाव है  भावनाओ का ,
कभी क्रोध  के रूप मैं ,कभी प्यार के रूप मैं
ज़िन्दगी दर्द है ,
कुछ नहीं होने का ,कुछ ना कर सकने का ,
ज़िन्दगी लालसा है ,
विचार है कुछ पाने का , कुछ हासिल करने का 
या के ज़िन्दगी है नाम जीने का ,आपनी आजादी के साथ
मगर कहा है आजादी ,कहा है जीवन,
ज़िन्दगी नाम है तड़प का ,जलन का ,
किसी को पाने कि तड़प ,किसी को खोने कि जलन,
या के जिन्द्की सपना है ,सब कुछ भूल जाने का ,
जो है उसको पाने का ,जो नहीं है उसके लिए आंसू बहाने का ,
ज़िन्दगी हकीकत है ,या के इक कल्पना है ज़िन्दगी,
हाथ लगा के उसको छू के देखूंगा कभी ,
ज़िन्दगी मेरे विचारो का संकलन मात्र है,
या के किसी और का संग्रह चुरा के बैठा हूँ मैं ,
ज़िन्दगी है कोई रिश्ता ,माँ का बाप का ,
या रिश्ता है दोस्ती का ,भाई का ,
जो चलेगा साथ जब तक तू चलेगा ,
तेरे साथ ही हो जायेगा दफ़न जमीं मैं,
या के ज़िन्दगी छितिज पे मिलता कोई किनारा है ,
तेरी उमीदों का धरातल जहा तेरा घर है,
जहाँ  सांस लेता है तू चैन से,
 बैठ कर आराम करता है ,
मगर जब याद आता है कि काम करना है बहुत ,
जवाब देना है ज़िन्दगी देने वाले को ,
तो समेट  कर सारी पोटली अपनी ,
जिसमे ज़िन्दगी के मायने सहेज रखे है ,
क्या मिला ,क्या खोया ,ज़िन्दगी है क्या ,
ये बताने चल पड़ता है ,ना जाने कहा !
दूर किसी डगर पार अनवरत चल पड़ता है
मगर जवाब अभ भी नही है ,
ज़िन्दगी क्या है ,ज़िन्दगी क्या ,
ओर मौत आके ले जाती है तुझे तेरे
जज्बात ,कल्पनाएँ ,रिश्ते,क्रोध ,प्यार सब कुछ
वही पर छोड़ कर वैसे ही छोड़ कर,
रोते बिलखते ,सब्द हिन् ,
और छोड़ जाता है इक सवाल,
ज़िन्दगी क्या है..............................

2011/02/07

ये गीत पुराना है

ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है ,
इक गया है इक को आना है,
कल वो भी नया था जो आज पुराना है,
क्यों दोष दे किसी को ,
जब ये चलता है ये ही चलाना है ,
इक उठता है ,इक जमता है ,
ये ही तो जमाना है !
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
तुम ही तो कहते थे भगाओ इसको ,
मुझको भी तो आना है,
मैं नया हूँ  ; बिलकुल नया हूँ ;
ये तो पुराना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
आया है जो सामने से ,
चुपके भी तो आ सकता था  ,
है पुराना लेकिन;
नया बन के भरमा सकता था ,
लेकिन कब तक ,
कब तक वो राग नए गा पता ;
आखिर सब समझ जाते .........
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
जाना है वैसे भी उसको जो पुराना हो गया है ,
बस उसको ये समझना है ,
फिर तुमको आ जाना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
पर ये ना समझना कि तुम शास्वत हो जाओगे ,
तुम नए हो ;
पर कल पुराने हो जाओगे ,
जैसे ये जायेगा कल  तुम को भी जाना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !

2011/02/05

आग

धुंआ नहीं उठता और आग जल जाती है -२ ,
इश्क ऐसी भट्टी है ,जो सब कुछ निगल जाती है !
तेरे,मेरे चाहने से  ना जलती है ,ना भुजती है -२ ,
अपने आप सुलग जाती है ,यूँ ही जल जाती है !

2011/01/30

बेटी जा रही है ........

जब इक बहु आपनी सास से दूर अपने पति
के पास जाती है तो उस शास कि भावनाएं 
जो अपनी बहु को बेटी कि तरह प्यार करती है ....

एक घर कि बेटी हो के पराई आई थी ,
आज फिर परायी सी होने जा रही है ,
दूर अपने सास ससुर से कहीं........
घर बसाने बेटी जैसे जा रही है ,
घर बसाने मेरी बेटी जा रही है !

जब आई घर में तो लगा के रोनक आई,
आज बेटी लेके रोनक आपने साथ जा रही है ,
बड़ी मुश्किल से अपना बनाया था परायी बेटी को,
आज कर के वही पराया जा रही है...........
घर बसाने मेरी बेटी जा रही है !

खुशी है मगर आँखों में आँसूं भी तो है,
ग़म है तो उसके दूर जाने का,
आदत डाल दी उसने अपने प्यार कि,शरारत कि,
आठ्खेलियों कि ...............
मगर कर के मेरा आँगन सूना जा रही है ,
घर बसाने मेरी बेरी जा रही है !

रोक भी नहीं सकती उसको,रोकू भी तो कैसे ,
पति कि है चिंता उसको ,पास पति के जा रही है ,
सेवा कि हमारी अब,पत्नी धर्म निभाने जा रही है,
लेके आशीर्वाद आपना घर बनाने जा रही है ,
धर्म निभाने जा रही है..............
घर बसाने मेरी बेटी जा रही है !

याद आएगी तेरी बेटी हर पल मुझे मैं जानती हूँ ,
कभी-कभी समझाना पड़ेगा खुद को मैं जानती हूँ ,
वो बेटी तुझ से दूर है मगर दिल के तो करीब है ,
जब भी बुलाएगी,आएगी कर के ये वादा जा रही है ,
घर बसाने मेरी बेटी जा रही है !

चिंता है ध्यान खुद का केसे रखेगी वो,
बच्ची मेरी तू दिल वहां अकेले लगाएगी कैसे ,
नादाँ है तू खुद को वहां संभालेगी कैसे ,
भूल ना जाना वहां जा के अपनी इस माँ को...
मै सास हूँ मगर माँ कि तरह रुला कर जा रही है ,
घर बसाने मेरी बेटी जा रही है ........,

2011/01/12

सोचता हु में.................

में रास्तों से गुजरता अक्सर ये सोचता हूँ  ,
टीस मन में मेरे किस चीज कि है ,
दिल में दर्द है इस ज़माने कि मेहरबानी ,
खुशियों के दो पल ज़माने में ढूँढता हूँ !
कभी सोचता हूँ दीप बिन तेल के ,
झिलमिला के जल तो उठे ;
लेकिन भुज जायेंगे झक से !
फूँक मरकर इनको भुजाना  ना पड़ेगा ,
आँखों से बहते झरनों से ख़ुशी को छंट लो ,
या के इनको इक्कठा कर लो पाती में !
कभी आग भुजाने के काम आयेंगे ,
या के प्यास तो भुजेगी किसी कि !
इन रास्तों पे गुजरता अक्सर सोचा करता हूँ !
वो दीपक जो मेरा रह्बरा बना है ,
क्यों उसके रास्तों पे क़दमों में अँधेरा है ,
मुझे तो वो नदिया के ऊपर का पूल दिखायेगा ,
टूटी सड़क का गड्डा वो कैसे दिखा पायेगा !
रास्तों के मोड़ पे रुक कर थोडा आराम करके ;
फिर मेरा मन इस ज़माने पे आंसू बहता है ,
मेरी आँखों से निरंतर बहती अश्रुधारा नहीं रूकती ,
क्यों इस अश्रुजल पर आकाल आता नहीं !
अक्सर सोचता हुआ फिर चल पड़ता हूँ ,
कई मंजिले आती है कई तलाशता हूँ ,
कभी खुशियाँ दे देती है पगडंडीयां ,
कभी दर्द नदियों के टूटे पूल दे देते हैं,
नदियाँ कई तैर के पार कि है मैने  ,
कई सडको के गड्डे छाने है मैंने ,
मुझे ना कही सुकून मिलता है ना खुशी,
मगर फिर भी चलता रहता हु मंजिल दर मंजिल ,
फिर भी इक जयोत है दिल में निरंतर जलती !
अक्सर इन रास्तों से गुजरता सोचता हु में !

2011/01/11

हो मौसम सुहाना और.................

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरी आशिकी है कि जहर है -२
आँखों से सिने मैं उतरी जाती है !
मैं मर तो जाऊं मगर मरता नहीं -२
कुछ और जी लूँ शायद तू आ जाये !

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

बाँहों में बाहें डाले हम चले साथ साथ -२
मुश्किलों से डर कैसा जब हम है साथ साथ !
तुम्हे धुप लगे तो में छावं बन जाऊं ,
लगे प्यास तुझको तो लहू मेरा बरसात हो जाये !

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

ये नदियाँ , ये पहाड़ , ये झरने कुछ नहीं -२
तुम नहीं पास तो ये दुनियां कुछ नहीं !
इक बार हाथों में हाथ लेके अपना कह दे ,
फिर मिट जाये दुनिया , चाहे सर्वनाश हो जाये !


हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरे शबनमी होठों से मेरा नाम निकले -२
तेरे केशुओं कि छावं में मेरे दिन रात निकले !
तेरे आँचल में हो मेरे दिन कि शुरुआत ,
तेरे आँचल में ही मेरी रात हो जाये !


हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरे हाथों में हो सुहाग के कँगन - २
हो तेरी मांग में सिन्दूर मेरे नाम का !
बेठी रहो मेरे सामने में तुम्हे देखा करूँ -२ ,
बस आज ही सुहाग कि वो रात हो जाये !



हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

2011/01/09

तड़प उसकी मोहब्बत की

फूलों से दोस्ती करके देखी ,अब काँटों को आजमाना है ,
मोहब्बत हमको मिले ना मिले ,दर्द से रिश्ता पुराना है !
अपने दिल की आखिरी ख्वाहिश पूछ ले ,
मेरे सफ़र को इक रात और है फिर चले जाना है !
दौर चाहे कैसा भी आये मुझको रोना नहीं  है ,
बहा दे आज सारा जितना आंसुओं का खजाना है !
लोग कहते है तू ज्यादा मुस्कुराने लगा है ,
क्या बताऊँ ये तो जख्म छुपाने का बहाना है !
अब नहीं मुझे मरहम-ऐ-दर्द-ऐ-दिल की जरुरत,
अब तो काम मेरा वक़्त-बेवक्त जख्म दुखाना है !
उसका दिया जख्म मेरी ताकत सी बन गया है ,
ज़िन्दगी हर पल अब नया जोश नया तराना है !
आज तू तड़पता है उसकी मोहब्बत  में " सागर ",
कल उसको अपनी गलती पे पछताना है !

2011/01/06

इश्क की हवा चली है

क्या मेरे खवाबों की तस्वीर देखोगे ऐ तमाशबीन ,
मेरे दरो दीवार ,और खूंटियों पर हसरते टंगी है !
कही डब्बो में बंद अभिलाषायें है,मेरी चाहतें है कहीं ,
मेरी अलमारी मैं मेरे टूटे सपनो की कड़ियाँ धरी है !
तुझको यकीं आये ना आये मगर मैं कहता हूँ ,
बिखरी मेरे कमरों मैं मेरे दिल की अस्थियाँ पड़ी है !
दिल ने मेरे मुझको समझाने को चिठ्ठियाँ लिखी ,
मेरे चूल्हे में लेकिन जलने को वो चिठ्ठियाँ पड़ी है !
मैने जो चाहा ना मुझको वो नसीब हुआ ,
देखो आँगन में मेरे अरमानों की वो गठरियाँ पड़ी है !
बहुत उकसाया मेरी इच्छाओं ने मुझको ,
मगर मेरे घर के पिछवाड़े में मुझको उनकी मज़ारे मिली है !
सामने भी अगर सपनो में आ जाये कोई मेरे,
तो मैं ना बताऊंगा उसको कोन सी मेरे दिल की गली है !
मैं ढक लेता हु तेरी यादों की चादर से खुद को " सागर ",
बीमार फिर से ना हो जाऊं कहीं ,इश्क की फिर जो ये हवा चली है

हादसा

मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
हाथों से छुट कर मिट्टी मैं मिल गया ,
मोती जो वर्षों से हाथों मैं सहेजा था !
मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
आँखों से निकल कर बिखर गया  मेरी राहों मैं ,
सपना जो मेरी आँखों ने प्यार से तराशा था !

मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
अब तो हर तरफ बस तन्हाई सी दिखती है ,
छंट गया दिल से छाया जो धुँआ था !

मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
तुम चुप के से गुजर गए मेरी कब्र के पास से ,
यू लगा मेरी रूह को जैसे ठंडा झोंका हवा का था !
मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
तुम रुके ना इक पल भी तो क्या हुआ ,
कहती है ये फिजाये गुजरा कोई अपना था !
मैंने भर के चुल्लू भर पानी समंदर से पी लिया,
क्या करू मैं बड़े दिनों से प्यासा था !
 मेरी रूह को कहता है खुदा अब भूल के सब आजा ,
तेरा कोन है वहां " सागर " वो तो इक हादसा था  !

मैंने भर के चुल्लू भर पानी ..........................

नव वर्ष मंगलमय हो

जिस तरह आसमान के सभी रंग मिलकर इन्द्रधनुष बनाते है ,
जिस तरह बनाती है सहद मधुमखी रंग बिरंगे फूलों से ,
जिस तरह सात सुर मिलकर जीवन संगीत बनाते है ,
जिस तरह सागर में आके सारे संसार की नदियाँ मिलती है ,
उसी तरह सारे संसार की खुशियाँ आपके दामन मैं भर जाये !
नव वर्ष २०११ आपके सपनो को हकीकत का धरातल प्रदान करे !

नव वर्ष मंगलमय हो