2010/11/27

अन्दाज- ऐ - शायरी

कागज़ पर गम  को उतारने के अन्दाज ना होते-२
मैं मर गया होता ,अगर शायरी के अल्फाज ना होते है !
पंख थे  मगर उड़ने की चाहते ना थी-२
होंसले मर गए होते अगर देखे मैने ये परवाने ना होते !
मुझे था पता की तू थी बेवफा लेकिन-२
तुजे चाहता नहीं अगर तुजमे वफ़ा के अन्दाज ना होते !
मुजको होता केसे मालूम दोस्ती होती है क्या -२
मुजको चोट करने वाले सुरत - ऐ -दोस्त अदू ना होते !
मैं था बड़ा बदनाम ,इतना मशहुर ना होता -२
वीरानो मैं शहर दिलजलों के अगर आबाद ना होते !
तुझे कोन कहता शायर ,तेरी शायरी कोन सुनता-२
अगर दिल मैं तेरे सागर ये आज़ाब ना होते !
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