भय लगता है डर लगता है ;
जाने किस से दिल डरता है ,
सीने मैं धक् धक् सी है ,
मन जाने किस बात से चिंतित है ,
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है -२ !
रोम -रोम में सिरहन सी है ;
अंग अंग में कंपकंपी,
रोम -रोम में सिरहन सी है ;
अंग अंग में कंपकंपी,
तन मन में एक चुभन सी है ,
जाने कैसी उलझन है !
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है -२ !
समझ में न कुछ आ रहा ,
इधर जाऊं या उधर रुकू ,
ये करू या वो करू ,
जाने कैसी मुश्किल है ,
हर पल मन चिंतित रहता है ;
पहेली कैसी अनबुझ है ,
एक आग है मेरे सीने में बुझ जाएगी ,
पर लगता है मुश्किल है ;
पर लगता है मुश्किल है !
सुंदर रचना ....
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