2010/12/07

सागर तुम तो बिगड़ गए

छुट गई हाथों से माला ,मोती सरे बिखर गए !
आँखों में सपने रखे थे, ना जाने वो किधर गए !
वक़्त हमारे साथ था ,पलपल लेकिन छीनता रहा !
लम्हे जो प्यार भरे थे मेरे ,जाने कब वो बीत गए !


खून शरीर का भी अब तो तेज रवानी में रहता है !
गुस्से में रहने लगे ,तेवर भी तो बदल गए !
लोग कहते है कि तुम जाने हो गए कैसे यार !
मतलब कि ही बात है करते " सागर " अब हम संभल गए !

साथ जो चलने कि कोशिश कि वक़्त ने नाता तोड़ दिया !
वक़्त तो आगे निकल गया , हम कितना पीछे छुट गए !
वक़्त मुताबिक ढलने कि कोशिश कि हमने,और बदले भी !
दुनिया बोली बिगड़ गए पर  हमे लगा हम सवर गए !