2012/05/26

दो पल ...........

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

ना मज़बूरी का नाम देंगे इसको ;
ना बेवफाई कोई कह सकता है ,
मैं नहीं चाहता था इस तरह जीना ,
और तू भी ऐसे जी कर खुश ना  थी !

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

बदमिजाजी जब महोब्बत में बहुत हो गयी ,
बेरुखी सी आशिकी होने लगी थी !
प्यार करने का तब मजा जाता रहा ,
जब हर बात पे तकरार होने लगी थी !

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

भीड़ में दोनों पागल से रहते थे ,
तन्हाई में भी खुद को समझते रहे !
दुनिया वालो की परवाह करके बहुत जिए ;
एक दुसरे की कभी कहीं परवाह ना थी  !

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

एक दुसरे का साथ ही तो साथ नहीं होता ,
दूर रह कर भी क्या कोई पास नहीं होता  ,
तेरी  जिद को भला प्यार का नाम कैसे दे दूँ  ;
इतनी कमजोर आज तक कभी जवानी ना थी !

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

साथ रहकर भी कहाँ साथ होते थे ,
झूठी हंसी होठो पे ;अंदर दर्द होता था !
जब ये साथ ही दर्द बढाने लगा "सागर " ,
तो भलाई दूर हो जाने में ही थी !

दो पल ही काफी थे समझने के लिए ,
मेरे प्यार की कहानी इतनी लम्बी ना थी !

1 टिप्पणी:

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