2012/10/14

कैसे जीता रहा हूँ.........


कैसे कहूँ तुझ से कैसे जीता रहा हूँ ;
हर दर्द का घूँट पिता रहा हूँ मैं !


कभी हर पल जिया ख़ुशी के साथ ;
कभी घुट घुट के मरता रहा हूँ मैं !


कुछ दर्द देते थे ;लगाते थे मरहम कुछ ;
हर दोस्त हर दुशमन को आजमाता रहा हूँ मैं !


दर्द था मेरे दिल में लेकिन तूझे न महसूस हुआ ;
खता मेरी थी हर पल मुस्कुराता रहा हूँ मैं !


अफ़सोस उम्र भर रहा तुने कभी सदा न दी ;
तेरे दर से रोज खाली जाता रहा हूँ मैं !

ऐसा नहीं याद सिर्फ मेने किया तूझको "सागर " ;
है मालूम मुझे ;तूझे भी याद आता रहा हूँ मैं !


4 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक प्रस्तुति - शुभकामनाएं

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  2. कुछ दर्द देते थे ;लगाते थे मरहम कुछ ;
    हर दोस्त हर दुशमन को आजमाता रहा हूँ मैं !

    वाह ॥बेहतरीन

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  3. Great wordings Sagar... Please keep on writing .....Dapinder

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