मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
2010/12/20
मोहब्बत उसकी
हुस्न ऐ मोहब्बत कि क्या चर्चा करूँ ,भरता ही नहीं दिल दीदार से -२
चाँद को भी सरम आती होगी ,सूरत जो नजर उसकी आती होगी !
भले चाहे किसी को कोई कितना भी ,दस्तूर ऐ लाज भी तो जरुरी है ,
चला गया वो रूठ कर हमसे ,मगर याद तो उसको भी आती होगी !
दंग रह गए हम उनके अंदाज-ऐ-पर्दा-ऐ मोहब्बत को देख कर ,
वो बताते नहीं तो क्या ,दिल्लगी तो उनको भी सताती होगी !
क्यों छुपाकर हाथों में चेहरा सरमाते है वो अकेले में ,सोच कर मेरे बारे में शाम-ओ-सहर लाज आती होगी !
" सागर " ही नहीं उनको देख कर शायरी लिखता यारों ,
वो भी मोहब्बत में लफ्ज प्यार के बनाती होगी !
में यूँ ही उस पर इलज़ाम लगता रहा बेवफाई का ,
डर के रुसवाइयों से वो मिलने ना आती होगी !
पंजाबी कि रचना हिंदी अनुवाद के साथ
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ਬਾਗਾਂ ਚ ਖਿੜਦੇ ਸੁਰਖ ਗੁਲਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ -੨
ਕਿਸੇ ਸਾਹ੍ਜਾਦੀ ਦੇ ਸੋਹਣੇ ਨਵਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
ਅਸਾਂ ਤਾਂ ਰਾਤਾਂ ਗੁਜਰ ਲੇਨੀ ਹੈ ਮਸੈਯਾ ਦੀ ,
ਤੂ ਰਹੀ ਤੇ ਚੋਹਾਦਵੇਂ ਦੇ ਚਨ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
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बागां च खिड्दे सुर्ख गुलाब वांग रही -२
किसे सहजादी दे सोहने नवाब वांग रही !
असी तां रातां गुजार लेनी है मस्या दी ,
तू रही ते चोह्दवीं दे चन वांग रही !
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ਬਾਗਾਂ ਚ ਖਿੜਦੇ ਸੁਰਖ ਗੁਲਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ -੨
ਕਿਸੇ ਸਾਹ੍ਜਾਦੀ ਦੇ ਸੋਹਣੇ ਨਵਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
ਅਸਾਂ ਤਾਂ ਰਾਤਾਂ ਗੁਜਰ ਲੇਨੀ ਹੈ ਮਸੈਯਾ ਦੀ ,
ਤੂ ਰਹੀ ਤੇ ਚੋਹਾਦਵੇਂ ਦੇ ਚਨ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
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बागां च खिड्दे सुर्ख गुलाब वांग रही -२
किसे सहजादी दे सोहने नवाब वांग रही !
असी तां रातां गुजार लेनी है मस्या दी ,
तू रही ते चोह्दवीं दे चन वांग रही !
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आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
हम सोचते थे आंसू बहाने वाला रखता है दर्द ,
आँखों के सूखे समंदर में मरे कस्ती सवार को देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
बात कि नहीं जा रही थी रोते रोते ,
दर्द उसका महफ़िल में हर किसी ने देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
छुपा के आंसू जिसने मुस्कुरा के दिखाया ,
उसके दिल को अकेले में आंसू बहाते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना आग थी ना पानी था वहां -२ ,
मिजाज़ उसका कभी गर्म कभी सर्द देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना मुस्कुराहटो से छिपता है ना रोने से दिखता है ,
इस दर्द को हंसी से जीते आंसुओं से मरते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
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