2010/12/20

शराफत हुस्न वालों

  देखी है जब से शराफत हुस्न वालों कि-२
    डरते है तब से शरीफों से " सागर "

मोहब्बत उसकी

हुस्न ऐ मोहब्बत कि क्या चर्चा करूँ ,भरता ही नहीं दिल दीदार से -२
चाँद को भी सरम आती होगी ,सूरत जो नजर उसकी आती होगी !
भले चाहे किसी को कोई कितना भी ,दस्तूर ऐ लाज भी तो जरुरी है ,
चला गया वो रूठ कर हमसे ,मगर याद तो उसको भी आती होगी !
दंग रह गए हम उनके अंदाज-ऐ-पर्दा-ऐ मोहब्बत को देख कर ,
वो बताते नहीं तो क्या ,दिल्लगी तो उनको भी सताती होगी !
क्यों छुपाकर हाथों में चेहरा सरमाते है वो अकेले में ,
सोच कर मेरे बारे में शाम-ओ-सहर लाज आती होगी !
" सागर " ही नहीं उनको देख कर शायरी लिखता यारों ,
वो भी मोहब्बत में लफ्ज प्यार के बनाती होगी !
में यूँ ही उस पर इलज़ाम लगता रहा बेवफाई का ,
डर के रुसवाइयों से वो मिलने ना आती होगी !

पंजाबी कि रचना हिंदी अनुवाद के साथ

*********************************
ਬਾਗਾਂ ਚ ਖਿੜਦੇ ਸੁਰਖ ਗੁਲਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ -੨
ਕਿਸੇ ਸਾਹ੍ਜਾਦੀ ਦੇ ਸੋਹਣੇ ਨਵਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
ਅਸਾਂ ਤਾਂ ਰਾਤਾਂ ਗੁਜਰ ਲੇਨੀ ਹੈ ਮਸੈਯਾ ਦੀ ,
ਤੂ ਰਹੀ ਤੇ ਚੋਹਾਦਵੇਂ ਦੇ ਚਨ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
******************************
बागां च खिड्दे सुर्ख गुलाब वांग रही -२
किसे सहजादी दे सोहने नवाब वांग रही !
असी तां  रातां गुजार लेनी है मस्या दी ,
तू रही ते चोह्दवीं दे चन वांग रही !
*******************************

आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा

आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
हम सोचते थे आंसू बहाने वाला रखता है दर्द ,
आँखों के सूखे समंदर में मरे कस्ती सवार को देखा  !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
बात कि नहीं जा रही थी रोते रोते ,
दर्द उसका महफ़िल में हर किसी ने देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
छुपा के आंसू जिसने मुस्कुरा के दिखाया ,
उसके दिल को अकेले में आंसू बहाते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना आग थी ना पानी था वहां -२ ,
मिजाज़ उसका कभी गर्म कभी सर्द देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना मुस्कुराहटो से छिपता है ना रोने से दिखता है ,
इस दर्द को हंसी से जीते आंसुओं से मरते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !

                        सागर मल शर्मा " शरीफ "