तेरे दिल मैं हूँ मैं इक आरज़ी की तरह -२
आँखों मैं छुपा ले पलकों की हिफाजत दे दे !
तेरे दिल को बना लू मैं सराय अपनी -२
वक़्त-बे-वक़्त आम्दोरफत की इजाजत दे दे !
मेरी गलतियों को मुआफ करके मुस्कुराना बस -२
आँखों से न बहे आंसुओ को ये हिदायत दे दे !
तू जो चाहता है मैं वो तुझको ला क दूंगा -२
बस घडी भर की मुझको मोहलत दे दे !
हर रास्ते पे चलूँगा मैं साथ साथ तेरे -२
करके वादा मेरी बनजा इतनी सी बस इनायत दे दे !
मैं नहीं मांगता तुझसे बस और जयादा - २
मेरी बावफाईयों की मुझको अदावत दे दे !
तुझ से क्या माँगू मैं अपने दिल की ज़ानिब -२
करदे सरोबार " सागर " को इतनी मोहब्बत दे दे !
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
2010/11/25
सफ़र शायरी का
" सफ़र शायरी का कहा तक जायेगा ,
तेरे साथ चलेगा या ठहर जायेगा !
मत कर परवाह किसी की सागर ,
जिसको आना होगा वो आएगा ! "
तेरे साथ चलेगा या ठहर जायेगा !
मत कर परवाह किसी की सागर ,
जिसको आना होगा वो आएगा ! "
तेरी आँखों का नशा
कोई न कोई तो मेरा नासूबुर होगा-२
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न
तू सख्सिअत ही है ऐसी !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा
हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न
तू सख्सिअत ही है ऐसी !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा
हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !
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