2010/11/25

मोहब्बत

तेरे दिल मैं हूँ मैं इक आरज़ी की तरह -२
आँखों मैं छुपा ले पलकों की हिफाजत दे दे !
तेरे दिल को बना लू मैं सराय अपनी -२
वक़्त-बे-वक़्त  आम्दोरफत की इजाजत दे दे !
मेरी गलतियों को मुआफ करके मुस्कुराना बस -२
आँखों से न बहे आंसुओ को ये हिदायत दे दे !
तू जो चाहता है मैं वो तुझको ला क दूंगा -२
बस घडी भर की मुझको मोहलत दे दे !
हर रास्ते पे चलूँगा मैं साथ साथ  तेरे -२
करके वादा मेरी बनजा इतनी सी बस इनायत दे दे !
मैं नहीं मांगता तुझसे बस और जयादा - २
मेरी बावफाईयों  की मुझको अदावत दे दे !
तुझ से क्या माँगू मैं अपने दिल की ज़ानिब -२
करदे सरोबार  " सागर " को इतनी मोहब्बत दे दे !

सफ़र शायरी का

" सफ़र शायरी का कहा तक जायेगा ,
तेरे साथ चलेगा या ठहर जायेगा !
मत कर परवाह किसी की सागर  ,
जिसको आना होगा वो आएगा !     "

तेरी आँखों का नशा

कोई न कोई तो मेरा नासूबुर होगा-२
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न 
तू सख्सिअत ही है ऐसी   !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा

हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !