कैसे कहूँ तुझ से कैसे जीता रहा हूँ ;
हर दर्द का घूँट पिता रहा हूँ मैं !
कभी हर पल जिया ख़ुशी के साथ ;
कभी घुट घुट के मरता रहा हूँ मैं !
कुछ दर्द देते थे ;लगाते थे मरहम कुछ ;
हर दोस्त हर दुशमन को आजमाता रहा हूँ मैं !
दर्द था मेरे दिल में लेकिन तूझे न महसूस हुआ ;
खता मेरी थी हर पल मुस्कुराता रहा हूँ मैं !
अफ़सोस उम्र भर रहा तुने कभी सदा न दी ;
तेरे दर से रोज खाली जाता रहा हूँ मैं !
ऐसा नहीं याद सिर्फ मेने किया तूझको "सागर " ;
है मालूम मुझे ;तूझे भी याद आता रहा हूँ मैं !