उम्र के लिए शिकवा और गिला दे दिया ;
उम्र भर के गमो का काफिला दे दिया .....
वो जो पीते थे जाम,मैयखानों में साथ ;
भर के जहर का पैमाना दे दिया .......
दुश्मनों से क्या शिकायत करे ;
दोस्तों न ही शिकायत का मौका दे दिया .....
जिस को बताया राज परदे के पीछे का ;
उसने ही राज को बेपर्दा कर दिया .......
हर किसी पे नजर थी मेरी महफ़िल में ;
कंधे पे रख के हाथ छुरा घोंप दिया ............
मैं कहाँ मरने वाला था सागर .;
जान थी जिस पंछी मैं मेरी वो ही मर गया ...........
दोस्तों न दोस्ती का सिला दे दिया .......
मांगी थी ख़ुशी कुछ पल के लिए ;उम्र भर के गमो का काफिला दे दिया .....
वो जो पीते थे जाम,मैयखानों में साथ ;
भर के जहर का पैमाना दे दिया .......
दुश्मनों से क्या शिकायत करे ;
दोस्तों न ही शिकायत का मौका दे दिया .....
जिस को बताया राज परदे के पीछे का ;
उसने ही राज को बेपर्दा कर दिया .......
हर किसी पे नजर थी मेरी महफ़िल में ;
कंधे पे रख के हाथ छुरा घोंप दिया ............
मैं कहाँ मरने वाला था सागर .;
जान थी जिस पंछी मैं मेरी वो ही मर गया ...........