2011/04/29

दोस्ती का सिला..........

उम्र के लिए शिकवा और गिला दे दिया ;
दोस्तों न दोस्ती का सिला दे दिया .......
मांगी थी ख़ुशी कुछ पल के लिए ;
उम्र भर के गमो का काफिला दे दिया .....
वो जो पीते थे जाम,मैयखानों  में साथ ;
भर के जहर का पैमाना  दे दिया .......
दुश्मनों से क्या  शिकायत करे   ;
दोस्तों न ही शिकायत का  मौका दे दिया .....
जिस को बताया राज परदे के पीछे का ;
उसने ही राज को बेपर्दा कर दिया .......
हर किसी पे नजर थी मेरी महफ़िल में ;
कंधे पे रख के हाथ छुरा घोंप दिया ............
मैं कहाँ  मरने वाला था सागर .;
जान थी जिस पंछी मैं मेरी वो ही मर गया  ...........