2011/04/10

है मोहब्बत कितनी तुझ से..............

देखे न और कोई तुझे मेरे सिवा मैं ये चाहती हूँ ,
तुझे छुपा के ज़माने से;सीने से लगाना चाहती हूँ ,
तू रहे सदा मेरा बन के ,और रहे मेरे दिल के करीब,
तुझ को देख कर जीना ,तेरे सामने ही मर जाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

दिल के आरमान जाने तेरे साथ कहा जाने को कहते है ,
हाथ पकड़ के साथ तेरे आसमानों मैं उड़ जाना चाहती हूँ ,
तेरी बन के जीना ,तेरी ही मर जाना चाहती हूँ,
तू आजमाए न आजमाए; मैं खुद को आजमाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

मैं तन्हा हूँ तेरे बिना ,मेला भी विराना सा लगता है ,
तूं नहीं होता तो हमको सारा जहाँ बेगाना सा लगता है ,
बीना तेरे जीना,सोच कर भी कांप जाती हूँ मैं ," सागर "
सारी जिन्दगी साथ तेरे ;तेरी हो के बिताना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !