दिल से निकले जो आवाज वो दिल तलक जाती है -२
उनकी खुशी जब अपनी ख़ुशी बन जाती है....
उनके दर्द पर जब अपनी आँखों से निकले आंसू ;
दुनिया ऐसे रिश्तों को "सागर" दोस्ती बुलाती है !
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
2010/12/11
इश्क क्या है
इश्क क्या है हमको तो कहीं मिलता ही नहीं-२
बहुत ढूँढा है रह गुजर में कहीं मिलता ही नहीं !
इश्क क्या है ..........................
मैंने इन फिजाओं में लगाई है आवाजें बहुत-२
इश्क लगता है बहरा वो सुनता ही नहीं !
इश्क क्या है ..........................
में ढूँढने को उसको अखबार में छपवा दू -२
सुना है मगर इश्क है अँधा उसे दिखता ही नहीं !
इश्क क्या है..................................
बाज़ार में पैसे दे कर खरीद लता में इश्क को -२
मगर बाजारों में इश्क बिकता ही नहीं !
बहुत ढूँढा है रह गुजर में कही दिखता ही नहीं !
कहीं मिलता ही नहीं............
इश्क क्या है हमको तो कही..................
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