2011/01/11

हो मौसम सुहाना और.................

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरी आशिकी है कि जहर है -२
आँखों से सिने मैं उतरी जाती है !
मैं मर तो जाऊं मगर मरता नहीं -२
कुछ और जी लूँ शायद तू आ जाये !

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

बाँहों में बाहें डाले हम चले साथ साथ -२
मुश्किलों से डर कैसा जब हम है साथ साथ !
तुम्हे धुप लगे तो में छावं बन जाऊं ,
लगे प्यास तुझको तो लहू मेरा बरसात हो जाये !

हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

ये नदियाँ , ये पहाड़ , ये झरने कुछ नहीं -२
तुम नहीं पास तो ये दुनियां कुछ नहीं !
इक बार हाथों में हाथ लेके अपना कह दे ,
फिर मिट जाये दुनिया , चाहे सर्वनाश हो जाये !


हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरे शबनमी होठों से मेरा नाम निकले -२
तेरे केशुओं कि छावं में मेरे दिन रात निकले !
तेरे आँचल में हो मेरे दिन कि शुरुआत ,
तेरे आँचल में ही मेरी रात हो जाये !


हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

तेरे हाथों में हो सुहाग के कँगन - २
हो तेरी मांग में सिन्दूर मेरे नाम का !
बेठी रहो मेरे सामने में तुम्हे देखा करूँ -२ ,
बस आज ही सुहाग कि वो रात हो जाये !



हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये  ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !

1 टिप्पणी:

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