हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
तेरी आशिकी है कि जहर है -२
आँखों से सिने मैं उतरी जाती है !
मैं मर तो जाऊं मगर मरता नहीं -२
कुछ और जी लूँ शायद तू आ जाये !
हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
बाँहों में बाहें डाले हम चले साथ साथ -२
मुश्किलों से डर कैसा जब हम है साथ साथ !
तुम्हे धुप लगे तो में छावं बन जाऊं ,
लगे प्यास तुझको तो लहू मेरा बरसात हो जाये !
हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
ये नदियाँ , ये पहाड़ , ये झरने कुछ नहीं -२
तुम नहीं पास तो ये दुनियां कुछ नहीं !
इक बार हाथों में हाथ लेके अपना कह दे ,
फिर मिट जाये दुनिया , चाहे सर्वनाश हो जाये !
हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
तेरे शबनमी होठों से मेरा नाम निकले -२
तेरे केशुओं कि छावं में मेरे दिन रात निकले !
तेरे आँचल में हो मेरे दिन कि शुरुआत ,
तेरे आँचल में ही मेरी रात हो जाये !
हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
तेरे हाथों में हो सुहाग के कँगन - २
हो तेरी मांग में सिन्दूर मेरे नाम का !
बेठी रहो मेरे सामने में तुम्हे देखा करूँ -२ ,
बस आज ही सुहाग कि वो रात हो जाये !
हो मौसम सुहाना और मुलाकात हो जाये ,
हम तुम मिले कही और कुछ बात हो जाये !
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
2011/01/11
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