2011/06/02

ज़ादू........

सीधे दिल पे असर करती तेरी हर बात का ज़ादू,
जज़्बात मैं दुबे हुए ख्यालात का ज़ादू ,
डूबा है मोहब्बत में तेरी; दीवानी मेरा दिल ,
होता है अब मालूम क्या है तेरे प्यार का जादू !
 
शबनम की गिरती हुयी बरसात का ज़ादू,
दीखता है कोहरे से भरी ठंडी रात का ज़ादू ,
बाँहों में तेरी बाहें और आँखों मैं हो दोनों गुम,
हिलते ही नहीं लब और होती हुई बात का ज़ादू ! 

कहता है मन की सुनता रहू उम्र भर ,
तेरे सुर्ख होटों से रिसते अल्फ़ाज का  ज़ादू,
संगीत मैं कमो-बेश हो सकती है कैफ़ियत,
कम नहीं होता तेरी चहचहाट मैं सुर ताल का ज़ादू !

सागर को तो भाता है तेरे अंदाज का ज़ादू,
तुम हो बड़े ख़राब ये इल्जामात का ज़ादू ,
सर्दी से भरी रात और तेरी गर्म सांसो का साथ  ,
दिल धड़कता है तेरे साथ ये है तेरे मिजाज़ का ज़ादू !

6 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीजून 02, 2011 8:47 pm

    "हिलते ही नहीं लब और होती हुई बात का ज़ादू!"

    शायराना अंदाज अच्छा लगा - शुभकामनाएं

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  2. वाह वाह ,आपने तो जादू का पिटारा ही खोल दी या है.क्या बात है सागर जी.

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  3. प्रिय सागर जी
    क्या बात है !

    आज तो ज़ादू ही ज़ादू … भई वाऽऽह !
    हिलते ही नहीं लब और होती हुई बात का ज़ादू !
    यार ! वाकई ऐसा तो कई बार अनुभव हुआ है :)
    प्यारे कोमल भाव …

    बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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