2010/11/25

तेरी आँखों का नशा

कोई न कोई तो मेरा नासूबुर होगा-२
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न 
तू सख्सिअत ही है ऐसी   !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा

हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !

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