कोई न कोई तो मेरा नासूबुर होगा-२
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न
तू सख्सिअत ही है ऐसी !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा
हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
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