हुआ है क्या आबो हवा को मुतसिर है किससे-२
ज़नाब के तेवर भी कुछ बदले -बदले से नजर आते है !
हरारत है महसूस करो इन खुनक रातों मैं -२
मेरी मफरूजो मैं कोन ज़ज्ब हुए जाते है !
ये किसके अरमान मचलते है खुद को मिटने को -२
मेरी नस-नस मैं कोन शीर-ओ-शकर हुए जाते है !
है गुल बड़े , रुख बहुत , आबाद दुनिया -२
फिर ये परवाज क्यों मेरे सिकस्त-ऐ-दिल की तरफ आते है !
बाज़ दफा ऐसा हुआ की वह्सत होती है -२
वो नहीं दिखता और हम बेसब्र हो जाते है !
नजरो को नहीं ऐतराफ उसके बिना कोई-२
है किसको खबर कब शाम-ओ-सहर आते है !
उसके आने से लब हो जाते है बैनवा-२
धड़कने रुक जाती है , हम ठहर जाते है !
उसकी मोहब्बत को छुपाऊं कैसे ज़माने से -२
मेरी आँखों मैं वो ,बस वो ही वो नजर आते है !
कुछ दिल पे ,कुछ माथे पे ,कुछ सीने पे लगते है -२
उसकी नजरो के तीर जाने कहाँ-कहाँ जाते है !
अपनी तो ज़िन्दगी है उसके इशारो की मोहताज " सागर "-२
पलके उठाये तो जीते है गिराए तो मर जाते है !
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
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