2010/11/24

ज़िन्दगी सागर की

हुआ है क्या आबो हवा को मुतसिर है किससे-२
ज़नाब के तेवर भी कुछ बदले -बदले से नजर आते है  !
हरारत है महसूस करो इन खुनक रातों मैं -२
मेरी मफरूजो मैं कोन ज़ज्ब हुए जाते है !
ये किसके अरमान मचलते है खुद को मिटने को -२
मेरी नस-नस मैं कोन शीर-ओ-शकर हुए जाते है !
है गुल बड़े , रुख बहुत , आबाद दुनिया -२
फिर ये परवाज क्यों मेरे सिकस्त-ऐ-दिल की तरफ आते है !

बाज़ दफा ऐसा हुआ की वह्सत होती है -२
वो नहीं दिखता और हम बेसब्र हो जाते है !
नजरो को नहीं ऐतराफ उसके बिना कोई-२
है किसको खबर कब शाम-ओ-सहर आते है !
उसके आने से लब हो जाते है बैनवा-२
धड़कने रुक जाती है , हम ठहर जाते है !
उसकी मोहब्बत को छुपाऊं कैसे ज़माने से -२
मेरी आँखों मैं वो ,बस वो ही वो नजर आते है !

कुछ दिल पे ,कुछ माथे पे ,कुछ सीने पे लगते है -२
उसकी नजरो के तीर जाने कहाँ-कहाँ जाते है !
अपनी तो ज़िन्दगी है उसके इशारो की मोहताज " सागर "-२
पलके उठाये तो जीते है गिराए तो मर जाते है !

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