2010/12/20

मोहब्बत उसकी

हुस्न ऐ मोहब्बत कि क्या चर्चा करूँ ,भरता ही नहीं दिल दीदार से -२
चाँद को भी सरम आती होगी ,सूरत जो नजर उसकी आती होगी !
भले चाहे किसी को कोई कितना भी ,दस्तूर ऐ लाज भी तो जरुरी है ,
चला गया वो रूठ कर हमसे ,मगर याद तो उसको भी आती होगी !
दंग रह गए हम उनके अंदाज-ऐ-पर्दा-ऐ मोहब्बत को देख कर ,
वो बताते नहीं तो क्या ,दिल्लगी तो उनको भी सताती होगी !
क्यों छुपाकर हाथों में चेहरा सरमाते है वो अकेले में ,
सोच कर मेरे बारे में शाम-ओ-सहर लाज आती होगी !
" सागर " ही नहीं उनको देख कर शायरी लिखता यारों ,
वो भी मोहब्बत में लफ्ज प्यार के बनाती होगी !
में यूँ ही उस पर इलज़ाम लगता रहा बेवफाई का ,
डर के रुसवाइयों से वो मिलने ना आती होगी !

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