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ਬਾਗਾਂ ਚ ਖਿੜਦੇ ਸੁਰਖ ਗੁਲਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ -੨
ਕਿਸੇ ਸਾਹ੍ਜਾਦੀ ਦੇ ਸੋਹਣੇ ਨਵਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
ਅਸਾਂ ਤਾਂ ਰਾਤਾਂ ਗੁਜਰ ਲੇਨੀ ਹੈ ਮਸੈਯਾ ਦੀ ,
ਤੂ ਰਹੀ ਤੇ ਚੋਹਾਦਵੇਂ ਦੇ ਚਨ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
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बागां च खिड्दे सुर्ख गुलाब वांग रही -२
किसे सहजादी दे सोहने नवाब वांग रही !
असी तां रातां गुजार लेनी है मस्या दी ,
तू रही ते चोह्दवीं दे चन वांग रही !
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ਬਾਗਾਂ ਚ ਖਿੜਦੇ ਸੁਰਖ ਗੁਲਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ -੨
ਕਿਸੇ ਸਾਹ੍ਜਾਦੀ ਦੇ ਸੋਹਣੇ ਨਵਾਬ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
ਅਸਾਂ ਤਾਂ ਰਾਤਾਂ ਗੁਜਰ ਲੇਨੀ ਹੈ ਮਸੈਯਾ ਦੀ ,
ਤੂ ਰਹੀ ਤੇ ਚੋਹਾਦਵੇਂ ਦੇ ਚਨ ਵਾਂਗ ਰਹੀ !
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बागां च खिड्दे सुर्ख गुलाब वांग रही -२
किसे सहजादी दे सोहने नवाब वांग रही !
असी तां रातां गुजार लेनी है मस्या दी ,
तू रही ते चोह्दवीं दे चन वांग रही !
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