ज़िन्दगी क्या है ,इक आभाव है
वस्तुओं का , कामनाओ का , इच्छाओं का ,
या के बहाव है भावनाओ का ,
कभी क्रोध के रूप मैं ,कभी प्यार के रूप मैं
ज़िन्दगी दर्द है ,
कुछ नहीं होने का ,कुछ ना कर सकने का ,
ज़िन्दगी लालसा है ,
विचार है कुछ पाने का , कुछ हासिल करने का
या के ज़िन्दगी है नाम जीने का ,आपनी आजादी के साथ
मगर कहा है आजादी ,कहा है जीवन,
ज़िन्दगी नाम है तड़प का ,जलन का ,
किसी को पाने कि तड़प ,किसी को खोने कि जलन,
या के जिन्द्की सपना है ,सब कुछ भूल जाने का ,
जो है उसको पाने का ,जो नहीं है उसके लिए आंसू बहाने का ,
ज़िन्दगी हकीकत है ,या के इक कल्पना है ज़िन्दगी,
हाथ लगा के उसको छू के देखूंगा कभी ,
ज़िन्दगी मेरे विचारो का संकलन मात्र है,
या के किसी और का संग्रह चुरा के बैठा हूँ मैं ,
ज़िन्दगी है कोई रिश्ता ,माँ का बाप का ,
या रिश्ता है दोस्ती का ,भाई का ,
जो चलेगा साथ जब तक तू चलेगा ,
तेरे साथ ही हो जायेगा दफ़न जमीं मैं,
या के ज़िन्दगी छितिज पे मिलता कोई किनारा है ,
तेरी उमीदों का धरातल जहा तेरा घर है,
जहाँ सांस लेता है तू चैन से,
बैठ कर आराम करता है ,
मगर जब याद आता है कि काम करना है बहुत ,
जवाब देना है ज़िन्दगी देने वाले को ,
तो समेट कर सारी पोटली अपनी ,
जिसमे ज़िन्दगी के मायने सहेज रखे है ,
क्या मिला ,क्या खोया ,ज़िन्दगी है क्या ,
ये बताने चल पड़ता है ,ना जाने कहा !
दूर किसी डगर पार अनवरत चल पड़ता है
मगर जवाब अभ भी नही है ,
ज़िन्दगी क्या है ,ज़िन्दगी क्या ,
ओर मौत आके ले जाती है तुझे तेरे
जज्बात ,कल्पनाएँ ,रिश्ते,क्रोध ,प्यार सब कुछ
वही पर छोड़ कर वैसे ही छोड़ कर,
रोते बिलखते ,सब्द हिन् ,
और छोड़ जाता है इक सवाल,
ज़िन्दगी क्या है..............................
वस्तुओं का , कामनाओ का , इच्छाओं का ,
या के बहाव है भावनाओ का ,
कभी क्रोध के रूप मैं ,कभी प्यार के रूप मैं
ज़िन्दगी दर्द है ,
कुछ नहीं होने का ,कुछ ना कर सकने का ,
ज़िन्दगी लालसा है ,
विचार है कुछ पाने का , कुछ हासिल करने का
या के ज़िन्दगी है नाम जीने का ,आपनी आजादी के साथ
मगर कहा है आजादी ,कहा है जीवन,
ज़िन्दगी नाम है तड़प का ,जलन का ,
किसी को पाने कि तड़प ,किसी को खोने कि जलन,
या के जिन्द्की सपना है ,सब कुछ भूल जाने का ,
जो है उसको पाने का ,जो नहीं है उसके लिए आंसू बहाने का ,
ज़िन्दगी हकीकत है ,या के इक कल्पना है ज़िन्दगी,
हाथ लगा के उसको छू के देखूंगा कभी ,
ज़िन्दगी मेरे विचारो का संकलन मात्र है,
या के किसी और का संग्रह चुरा के बैठा हूँ मैं ,
ज़िन्दगी है कोई रिश्ता ,माँ का बाप का ,
या रिश्ता है दोस्ती का ,भाई का ,
जो चलेगा साथ जब तक तू चलेगा ,
तेरे साथ ही हो जायेगा दफ़न जमीं मैं,
या के ज़िन्दगी छितिज पे मिलता कोई किनारा है ,
तेरी उमीदों का धरातल जहा तेरा घर है,
जहाँ सांस लेता है तू चैन से,
बैठ कर आराम करता है ,
मगर जब याद आता है कि काम करना है बहुत ,
जवाब देना है ज़िन्दगी देने वाले को ,
तो समेट कर सारी पोटली अपनी ,
जिसमे ज़िन्दगी के मायने सहेज रखे है ,
क्या मिला ,क्या खोया ,ज़िन्दगी है क्या ,
ये बताने चल पड़ता है ,ना जाने कहा !
दूर किसी डगर पार अनवरत चल पड़ता है
मगर जवाब अभ भी नही है ,
ज़िन्दगी क्या है ,ज़िन्दगी क्या ,
ओर मौत आके ले जाती है तुझे तेरे
जज्बात ,कल्पनाएँ ,रिश्ते,क्रोध ,प्यार सब कुछ
वही पर छोड़ कर वैसे ही छोड़ कर,
रोते बिलखते ,सब्द हिन् ,
और छोड़ जाता है इक सवाल,
ज़िन्दगी क्या है..............................
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