धुंआ नहीं उठता और आग जल जाती है -२ ,
इश्क ऐसी भट्टी है ,जो सब कुछ निगल जाती है !
तेरे,मेरे चाहने से ना जलती है ,ना भुजती है -२ ,
अपने आप सुलग जाती है ,यूँ ही जल जाती है !
इश्क ऐसी भट्टी है ,जो सब कुछ निगल जाती है !
तेरे,मेरे चाहने से ना जलती है ,ना भुजती है -२ ,
अपने आप सुलग जाती है ,यूँ ही जल जाती है !
अपने आप सुलग जाती है ,यूँ ही जल जाती है !
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही आपने
बहुत सही
आभार
शुभ कामनाएं
wah sagarji... jo jale wohi jane...
जवाब देंहटाएंwah .........ati sundar
जवाब देंहटाएं"धुंआ नहीं उठता और आग जल जाती है-२,
जवाब देंहटाएंइश्क ऐसी भट्टी है, जो सब कुछ निगल जाती है!
तेरे, मेरे चाहने से ना जलती है, ना बुझती है-२, अपने आप सुलग जाती है, यूँ ही जल जाती है!"
बहुत बहुत सुंदर - हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंआज हम जिन हालातों में जी रहे हैं, उनमें किसी भी जनहित या राष्ट्रहित या मानव उत्थान से जुड़े मुद्दे पर या मानवीय संवेदना तथा सरोकारों के बारे में सार्वजनिक मंच पर लिखना, बात करना या सामग्री प्रस्तुत या प्रकाशित करना ही अपने आप में बड़ा और उल्लेखनीय कार्य है|
ऐसे में हर संवेदनशील व्यक्ति का अनिवार्य दायित्व बनता है कि नेक कार्यों और नेक लोगों को सहमर्थन एवं प्रोत्साहन दिया जाये|
आशा है कि आप उत्तरोत्तर अपने सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे|
शुभकामनाओं सहित!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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