मुझको तेरी महोब्बत चाहिए दुनिया से लड़ने को ,
मेरी चाहत को देख दुनिआ की दीवारों को न देख ||
मुझे भिड़ना नहीं है ज़माने की फौज से हमसफ़र;
मंजिलों पे नजर,हाथों में हाथ ,चलना कितना है न देख ||
मेरी आँखों में सिकवे ,गीले,दर्द के अंगारों को न देख ,
दिल का सुकूं देख जख्मों के दरिया न देख ||
कश्ती है मोहब्बत की जो जाती है दिलों तक ;
में हूँ मांझी समंदर में तेरा सागर ; तूफान,लहर,
गहराई,न देख सागर कुछ न देख ||
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