कोशिश मुझे ढूंढने की कहाँ कहाँ मिलता हूँ मैं ;
हर सख्श के दिलो दिमाग में रहता हूँ मैं ||
दुश्मन है उसे न नजदीक आने देना ;
गुस्से ,झगड़े,कलह से बड़ा डरता हूँ मैं |
में चाहता तो हूँ की हर किसी के साथ रहूं ;
मगर मेरे साथ कोई पा नहीं पता ||
जो रहता है सारे दिन मौज मस्तियों में मसगूल ;
उनको भी कहाँ नसीब हो पता हूँ मैं ||
पैसों से तुम मुझे खरीद नहीं सकते ;
अमीर ,गरीब, हर किसी के पास मिलता हूँ मैं ||
रोशनी भले ही देता है सरे जहाँ को दिया ;|
खुद को जला के भी उसको कहाँ मिलता हूँ मैं ||
दीखता है तुम को चमकदार तेजस बड़ा ;
जरूरी नहीं उसके पास भी रहता हूँ मैं ||
कर लेना कभी मुझको ;दिल को देके दिलासा ;
है बड़ा आसान मुझको पाना कहता हूँ मैं ||
जब यकीं हो की जो किया अच्छा किया खुद पे ;
सीने में हूँ तो आँखों से झलकता हूँ मैं सागर ||
सुकून हूँ मैं ;कोई मुझे दिल का चैन कहता है ;
बाज़ारों में; हाटों में; कहाँ बिकता हूँ मैं ||
अच्छा लिखते हो सर
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