2022/10/05

|| अन्दाज ए क़त्ल ||

अभी मिले है और मिलते ही क़त्ल कर डाला |

बहुत देखे है जलवा ए हुस्न मगर तुमसा नहीं देखा || 


मुद्दत से मिलना था  उस कातिल से , मिले आज | 

देखते है " सागर " अन्दाज ए क़त्ल नहीं बदला 


                                                                            02/01/2007


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