2022/10/05

कालचक्र................

 घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 

बांध गयी जिंदगी मौत सी आखिर वो गिरह क्या है 

बैठा हु अँधेरों  में अकेला ताकता हूँ शून्य में बार बार ,

आँखे हुयी हैं नम क्यों ,आँसुओं की वजह क्या है ,

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


देखता हूँ अपने अक्स को ,पूछता हूँ सवाल ख़ुद से ,

मन में लगी है आग मेरे ,मन के जख्मों की दवा क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है ||

 

संसार की इस बिसात पर ,मैं हु एक मोहरे की तरह ;

कोशिश करना काम हैं मेरा ,कोशिशें कर रहा हु मैं ;

जीत जाऊँ जब बिसात पर तो वाह वाह है मेरी ;

हार जाऊँ  तो जब टूट जाये बिसात कहते है मेने किया क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


टूट गए वो आशियाने जिनके बचे रहने की आश थी -२ 

जिंदगी मजबूर चलने को ;पहले ही बड़ी हताश थी ;

मुसाफिरों से पूछते है ;आवर आगे जाना कहाँ है ;

जान ही बाकि है जिंदगी और मुझमें  बचा क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


दो सांसो का जीवन ,एक सांस में तड़पे ;एक सांस में दुआ की ;

कभी मरने की दुआ मांगी ;कभी जीने की कसम खाई ;

सांस ले कर भी थक गए ;तुम कहते हो जिया क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


मैं चला जो लड़ने खौफ से ;वो कहते है मोहब्बत की बात न कर ;

क्यों जान गवाता है अपनी सागर ;इस दुनियां से तुमको मिला क्या है ;

हसरतें मिट जाएँगी तेरी ,जहाँ में और इस वफ़ा का सिला क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


अपनी साँस को भी हमने अपना नहीं माना ;

दुनियां वालो के लिए हमने अपनी जान गवाई है ;

मैं आदमी हूँ ;क्या मेने अपनी पहचान मिटाई है ;

बाद कुर्बानी मुझे भूल जाने की वजह क्या है ;

घूमते हुए इस काल चक्र में सोचता हूँ मेरी जगह क्या है || 


मेरे ब्लॉग को फॉलो करने क लिए यहाँ  क्लिक करे | | 

मेरे बेटे के Youtube ब्लॉग को फॉलो करे यहाँ क्लिक करके ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है...
आपकी टिप्पणियाँ मार्गदर्शक बनकर मुझे प्ररित करती है.....
आभार ..........