2019/12/10

मोहब्बत।।

जमाने भर से डर डर के रहा करता हूं।।
में तेरे दिल में घर कर के रहा करता हूं।।
मुझे होश नहीं , मदहोश हो गया हूं सनम ,
तेरी नज़रों से जाम पी कर जिया करता हूं।।
तन्हा हूं मगर तन्हाइयों का अहसास नहीं होता,
ले के तेरा नाम तेरी यादों में जिया करता हूं।।
और तुझे एहसास है के नहीं मालूम नहीं  ' सागर ',
जान से ज्यादा जान तुझसे मोहब्त किया करता हूं।।

2019/11/01

एक और जिन्दगी


एक और जिन्दगी देना ए ख़ुदा, एक जुल्म भी मुझ पे करना
या तो मुझको बच्चा रखना,या बहरा बना देना।।
में सुनू ना किसी की बस जीता रहूं जिन्दगी सागर ।।
जी नहीं सकते ये सोच, की लोग क्या कहेंगे।।

नवंबर मुबारक।।

मुझको इन खुनक रातों में झांकता बदन रजाई से बाहर अच्छा नहीं लगता।।
मगर तेरी सुबह सर्दियों की, मिलती नहीं खरीदे से।।

नवंबर मुबारक।।

2019/10/27

।। हैप्पी दीवाली ।।

नफ़रत, द्वेष, क्रोध, दुश्मनी का हिसाब कर रहा हूं।।
में इस दीवाली मन का कोना कोना साफ़ कर रहा हूं।।
अगर तुमको भी हो मेरे किसी कथनी करनी का दर्द;-२
बता देना में अपनी मोहब्बत के बैलेंस का चेक भर रहा हूं।।
मेने किसी दिन जो तुमको कुछ बुरा भला कह दिया हो।
निकाल देना अनार गुस्से का में माचिस लिए खड़ा हूं ।।
दिए रोशनी के मेने जला लिए है दीवाली मनाने को,
तुम आ जाना जो कोना अंधेरा लगे ढूंढ कर रख रहा हूं।।
दीवाली छोटी और बड़ी भले कुछ इतिहास रहा हो सागर ।।
दिल खोल कर रख दिया दीवाली आज बड़ी मना रहा हूं।।
आ जाओ सभी दीवाली के दिए आज जला रहा हूं।।
मोहब्बत के अनार, प्यार की फुलझड़ी, ख़ुशी
की आतिशबाजी चला रहा हूं।
में करके हर मैल साफ दिल का, दिल से दीवाली मना रहा हूं।।
आज सब भुला के में दीवाली मना रहा हूं, खुशहाली मना रहा हूं।।



अगर आपको ये रचना अच्छी लगी तो कृपया इस ब्लॉग को यहाँ क्लिक करके अनुसरण करें ताकि आपको हर प्रकार का अपडेट मिल सके || 
आप इस ब्लॉग क अन्य पृष्ठों को भी देख सकते है एवं आपके सुझाव दे सकते है मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने में | 

2019/10/21

किताब ए इश्क़।।

मेरे लबों पे हंसी देख के मेरे हाल जान लेने वालों।
ग़म की दीवारों पर मुस्कुराता गुलाब रखा है।।
मेरे शौक है अमीरी के, दिल से अमीर हूं।
जिन्दगी के हर कर्ज का हिसाब रखा है।।
मुझे छोड़ कर अपने हाल में जो चले गए थे तुम।
दिल की दीवारों पे वो वक़्त, वो लम्हात लिखा है।।
ये भी मुमकिन था तुझे मांग कर अपना बना लेता।
मेरी क़िस्मत में बिछुड़ना बेबात लिखा है।।
और जो मील भी गए कुछ लम्हों के लिए हम ।।
कर देंगे जुदा हमको सागर , ये उसूल ए इस्क की किताब लिखा है।।

2019/10/10

मोहब्बत की मलकियत

मुझको आवाज में उसकी कोई गर बुला लेता।।
में अपने उसूलों कि किताबे भी जला देता।
मुझे उन अजनबी लोगों से कोई तकलीफ़ ही ना थी।
वो दोस्तों की तरह ना सही दुश्मनी ही निभा लेता।।
कब मेने उसको अपनी मलकीयत जताई थी।
भले वो गैर की बाहों में था तो मेरा क्या चला जाता ।
हमने तो बस मुहब्बत की उसे अपना जान कर।।
जो उसको था पसंद में भी उसको अपना बना लेता।।
अरे जब उसकी खुशी में उसकी एक रजा नहीं तोड़ी?
क्या हिम्मत थी हमारी उसकी बात से आगे चला जाता।
जुदा होने में और बिछड़ने में बस फर्क है इतना,
वो कह देते प्यार से सागर और में महफ़िल से चला जाता ।।

2019/10/08

रावण

में रावण हूं मुझे एक सोच कहते है।
मुझे जला देना बेशक मगर क्या मार पाओगे ।।

अपने भीतर झांक कर देख लेना सागर ।
खुदकुशी इस देश  में गैर क़ानूनी है।।

2019/09/07

शराब

जलन उसको भी हुई, दर्द उसको भी उठा।
बुरा उसको कहा सबने, में झूमता रहा।।

शराब रूठ गई मुझ से, चढ़ती नहीं मुझे ।।
जबसे तेरी आंखो को मेने नशीला कह दिया।।

2019/08/26

ढूंढ ही लूंगा अ इश्क़ तुझको एक दिन।।
तड़पना, मरना, दर्द सहना यही बस हिसे में मेरे नहीं।।


उफ्फ।।।तेरे मुस्कुराने पे आ जाये तो क्यों जान ना चली जाए।।
मरीज दिल के है अस्पताल ढूंढ लेने देना।।

जब अर्जुन पांव पड़े कान्हा के।।

रथ का नहीं पहिया तात ये जीवन चक्र है थामा।।
हाथ से जो निकला तो प्रलय आ गई समझो।।
अर्जुन को दिखता है सारा ये चक्र नहीं चलना चाहिए।।
पितामह की चिंता नहीं पर धरती पे जीवन बचना चाहिए।।

2019/08/25

2019/08/24

तक़दीर।।

जिन्दगी बस मेरी ये तकदीर सी बना दे ,
में ख्वाब सा देखूं और तू हकीकत बना दे ,
सागर ना सही सागर सी फितरत हो जाए मेरी ।।
जिसे छोड़ दे दुनिया सारी , आ मेरी रूह में मिला दे ।।
और भला तुझसे ज्यादा क्या मांगू -२
देख कर तड़पे जिसे जग सारा, सागर को वो चांद बना दे ।।

2019/08/23

कान्हा कलयुग में मत आना।।

द्वापर के रोहिणी को, अष्ठमी को अवतरित हुए।।
इस कलयुग में लेकिन कान्हा जन्म कभी मत ले लेना।।
यहां दूध, दही, छाछ नहीं, मयखनो में जाम मिलेंगे।।
सुदामा कहीं नहीं मिलता , आस्तीनो के सांप मिलेंगे।।
अरे चीर हरण में तुमने कान्हा साड़ी कहां खत्म होने दी?
द्रोपती की आस्था की लीर कहां भस्म होने दी।।
नारी की इज्जत का यहां कलयुग में है खेल बना।
कन्याओं के चीथड़े करने वाले यहां वहसी नाग मिलेंगे।।
तू तो बड़ा वकील था कान्हा, प्यार से सारी जंग फतेह की।।
चंद पैसों के लालच में आकर, बिकते कितने ही वकील मिलेंगे ।।
अपने भक्तों की रक्षा को हे कान्हा गिरिधर तुम बने।। अर्जुन के विश्वाश को साधा , कान्हा तुम बने सारथी।।
रक्षा कलयुग में कहीं नहीं है, सागर हाहाकार मचा है।
धन बल कुछ ज्यादा हावी है, लोग यहां भगवान मिलेंगे।।
प्रभु दर्शन को द्वापर में बस श्रद्धा रखनी होती थी।।
कलयुग में तो तेरे दर्शन भी, लोगो के व्यापार मिलेंगे।।
महाभारत में रक्त रंजित धारा देख व्याकुल से हुए थे।।
कलयुग में कान्हा ऐसे रक्त रंजन सरे आम मिलेंगे ।।
लेकिन फिर भी आना हो तो,
लेकिन आना हो तो कान्हा ऐसे  आना कलयुग में।।
चक्र हाथ से तेरे निकले और चहुं ओर संहार करे।।
इस कलयुग की महाभारत का अंत तुम्हीं को करना है।।
भारत के टुकड़े करने वालो के टुकड़े करना है ।।
संस्कृती के टुकड़े करने वालो के टुकड़े करना है।।

कान्हा

चोरी खुद की, और सब दोस्तो को डराया।।
बड़ा वकील था , प्यार से सब कैसे सुल्टाया ।।
एक उंगली पे तूने गोवर्धन को उठाया।।
कंस जैसे मामा को , मुक्ति का बोध कराया।।
द्वापर में रोहिणी नक्षत्र में अस्टमी को आया।।
कान्हा तू मेरे रोम रोम में रक्त समान समाया।।

2019/08/20

।। गुनगुनाती किताबे।।

तकनीक ने ऐसा कमाल कर दिया।।
किताब बोलने लगी है उसकी जुबान से ।।
वो खामोश सी इंतजार अब नहीं करती।।
खींच लेती है अपनी तरफ मेहबूबा की सदा हो जैसे।।

2019/01/09

इश्क़

कदम जब रखा था कहाँ सोच के रखा था।।
नुकसान ही होना था नफा सोच के रखा था ।।
तेरी सादगी ने मुझको कातिल बना दिया सागर ।।
वफ़ा करते कैसे भला , जब दगा सोच के रखा था।।।