2018/10/22

2018/08/24

मुस्कुराती हुई जुबां........

दर्द दिल के अब कहाँ रखते है,
कुछ यादों की पोटली में छुपा रखते है।।
साफगोई से जो बन पड़ा लिखते है,
डरता हूँ तेरी उदासी से, मुस्कुराती हुई जुबां रखते है।।

वक़्त।।

पुकार लेते एक सदा भर दूर था तुमसे सागर।।
वक़्त थोड़े हूँ जो लौट कर आया नहीं जाता।।

2018/08/19

।।अटल : एक अंतिम इच्छा।।

अटल जी को समर्पित कुछ लाइनें, जो शख्शियत इस देश को समर्पित रहा, अंतिम इच्छा क्या रही होगी उनकी, क्या सोच रहे होंगे वो अंतिम पलों में।।।

रूक जाओ यमदूतों कुछ पल, कुछ वक़्त और निकल जाने दो।
मेरे प्यारे भारत की खुशियों को कुछ और खिलखिलाने दो ।।
मुझको तेरा डर नहीं है, ना जीवन का लोभ मुझे।।
जान से प्यारे तिरंगे को नभ में लहलहाने दो।।
मुझे नहीं दिल मे तनिक भी इच्छा जीने की,
जितना भी जिया हूँ में दिल से जिया हूँ मैं।।
मरने का अब गम क्यों करूँ ,खुले हाथों से स्वीकारता हूँ।
लेक़िन बस ये चिंता मुझको सताये जाती है,
मेरे मरने का ये गम देश मेरा ना मनाने लगे,
जिस तिरंगे के लिए जिया में, गर्व किया मेने,
उसको मेरे शोक में ना झुकाने लगें।
में अटल हूँ, मेरा ये विचार अटल तुम रख लेना,
मेरे गम का, लाख मनाओ शोक ,मगर
इस झंडे को न झुकने देना,
है यकीन मुझे मेरा देश मेरी ये बात मान जाएगा
अंतिम इच्छा को मेरी ये जरूर सम्मान दिलाएगा,
झुक जाएगी दुनियां, लेकिन झंडा यूँ ही लहरायेगा।।
तिरंगा यूँ ही लगरायेगा।।

2018/08/11

मैं बर्फ सा हूँ।।

मैं बर्फ सा हूँ।।
कुछ लोग मेरे पिघलने का इंतजार कर रहे है,
मैं पिघलु तो कुछ शरद मौसम कम हो,
जलावन सुख जाए, तो चूल्हे जले,
पौधे निकले जमीन से,फल लगे पेड़ो पे,
कुछ जानवर जो छुप गए है निकल कर बाहर आए,
उनको अपनी भूख कि फ़िक्र है, मौसम कुछ कम सर्द हो,
बच्चे स्कूल जाये, लोग रोजगार पे जाये, वो रास्ते जो बंद है अरसे से, मैं पिघलु तो खुल जाए,
वो जो लोग बैठे हैं घरो में बाहर आए,
चहल पहल हो ,रौनकें छाये,
मेरे पिघलने से बना पानी नदियों में बहे,
कुछ लब सूखे हुए तर हो जाए,
कुछ तालाब सूखे हुए भर जाए,मछलियां जो बस अब तड़पना सुरु कर चुकी है, बच जाए पानी से तरबतर जाए,
मगर मुझे याद है जब में पिघला था गए साल,
लोगो ने बद दुआएं दी थी बहुत, कई लोग जान से गये थे, कई घरों से बेघर हुए थे,
कइयों के व्यापार डूबे ,घर बार डूबे,
फसल डूबी, खलिहान डूबे, हाहाकार था हर जगह,
किनारों पे रहने वालों का खयाल आता है,
तो सोचता हूँ न पिघलु "सागर",
में बर्फ सा हुँ, ना पिघलु तो कैसे ना पिघलु,

2018/08/08

।। मोहब्बत।।

रात बहुत हो गयी चलो कुछ देर अब सो लिया जाये ।
सपनो की दुनिया से तुम्हारी  हो लिया जाये ।
कुछ देर रुकना है तेरी दुनिया के ठहराव में।
कुछ सुनना है गिला सिकवा जो हम से है।
आ दर्द को धड़कनो में पिरो लिया जाए।
रात बहुत हो गयी चलो कुछ देर अब सो लिया जाये ।
सपनो की दुनिया से तुम्हारी  हो लिया जाये ।।

मेरे हालातो को तेरे हालात से ना मिला के देख ।
मेरे जज़्बातों को अपने जज़्बात से ना मिला के देख।
जब इश्क़ किया था तो कोई शर्तें नहीं थी।
आ मोहब्बत के कागजो को छान लिया जाये।
रात बहुत हो गयी चलो कुछ देर अब सो लिया जाये
सपनो की दुनिया से तुम्हारी  हो लिया जाये ।।

तुमने जो कहा उसको फिर से कहता हूँ।
मैने जो कहा मुझे फिर से कहना तुम ।
अब मोहब्बत को देखे एक दूजे की नजर से।
मेरे बोलो को मुझ से , तेरे बोलो को तुझ से कहा जाये।
रात बहुत हो गयी चलो कुछ देर अब सो लिया जाये
सपनो की दुनिया से तुम्हारी  हो लिया जाये ।।

आ चल मोहब्बत करते है फिर से सुरु ।
तू इधर से निकलना में पीछे पीछे चलूँ ।
तू मुझे नहीं जानती , "सागर" पहचानता नहीं तुमको।
आ अजनबी से फिर हो लिया जाये ।
रात बहुत हो गयी चलो कुछ देर अब सो लिया जाये
सपनो की दुनिया तुम्हारी से हो लिया जाये ।।

2018/08/07

।।। नमकीन ।।।

इस तेज धूप से रंगीन हो गया हूँ मैं।।
सागर हूँ , सूखा नहीं हूँ ; नमकीन हो गया हूँ मैं ।।