अटल जी को समर्पित कुछ लाइनें, जो शख्शियत इस देश को समर्पित रहा, अंतिम इच्छा क्या रही होगी उनकी, क्या सोच रहे होंगे वो अंतिम पलों में।।।
रूक जाओ यमदूतों कुछ पल, कुछ वक़्त और निकल जाने दो।
मेरे प्यारे भारत की खुशियों को कुछ और खिलखिलाने दो ।।
मुझको तेरा डर नहीं है, ना जीवन का लोभ मुझे।।
जान से प्यारे तिरंगे को नभ में लहलहाने दो।।
मुझे नहीं दिल मे तनिक भी इच्छा जीने की,
जितना भी जिया हूँ में दिल से जिया हूँ मैं।।
मरने का अब गम क्यों करूँ ,खुले हाथों से स्वीकारता हूँ।
लेक़िन बस ये चिंता मुझको सताये जाती है,
मेरे मरने का ये गम देश मेरा ना मनाने लगे,
जिस तिरंगे के लिए जिया में, गर्व किया मेने,
उसको मेरे शोक में ना झुकाने लगें।
में अटल हूँ, मेरा ये विचार अटल तुम रख लेना,
मेरे गम का, लाख मनाओ शोक ,मगर
इस झंडे को न झुकने देना,
है यकीन मुझे मेरा देश मेरी ये बात मान जाएगा
अंतिम इच्छा को मेरी ये जरूर सम्मान दिलाएगा,
झुक जाएगी दुनियां, लेकिन झंडा यूँ ही लहरायेगा।।
तिरंगा यूँ ही लगरायेगा।।
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