2010/11/28

वक़्त की कद्र

सोच क्या बदल लेगा तू अपने आप को ,
फिर जब वक़्त निकल जायेगा तो पछतायेगा !
तेरी आदतें फिर तुझ पे हावी हो जाएगी ,
तू नहीं फिर इनसे नहीं बच पायेगा  !
वक़्त की कद्र कर वक़्त तुझको सराहेगा .......
सामने वाले को देख कर ही कुछ सिख  ;
कुछ सिख ऐसा जो तेरे काम आएगा !
ना देख उसमे है बुराई कितनी ;
बस देख तेरे वो कम कितना आएगा !
वक़्त की कद्र कर वक़्त तुझको सराहेगा ......
कहने को ज़िन्दगी और मौत एक सिक्के के दो पहलु है ;
एक पासा ज़िन्दगी और दूसरा पासा मौत है !
अब जब उछल चूका है सिक्का हवा में ;
अब ना सोच कोन सा पहलू आएगा  !
वक़्त की कद्र कर वक़्त तुझको सराहेगा ......
वक़्त रहते अपनी बिगड़ी सवार सकता है  ;
वक़्त वो झोंका है जो सन्नाटे के साथ चलता है !
है तेरे सामने तो तेरी आवाज सुनता है " सागर ";
नहीं मुड़ेगा अगर पीछे से आवाज लगाएगा !
वक़्त की कद्र कर वक़्त तुझको सराहेगा ......

कामयाबी

आसमां में तेरी सूरत दिखनी चाहिए ;
फूलो से तेरी खूसबू बिखरनी चाहिए ;
अपनी कामयाबी की फेहरिस्त इतनी ऊँची लहरा देना ,
हवा भी चले तो ये  जमीं हिलनी चाहिए  !


                                                                  " सागर

शोक-ऐ-शायरी

ज़िन्दगी सारी हमने मुफलिसी में गुजार दी " सागर "
मुमकिन नहीं था अमीरी में शोक-ऐ-शायरी !

2010/11/27

क़ाबलियत की तकदीर

मैं नहीं चाहता दीवारें गिरे , और मैं नए महलो की नीवं रखूँ ,
इन्ही दीवारों पर आशाओ की मजबूत छत डालनी चाहिए !
मजबूर क्यों हो सफलता  किसी के इशारो पे चलने को ,
उस सफलता को  भी एक तकदीर मिलनी चाहिए !
सफलता -असफलता का ये दौर हाथों में अपने रहेगा कैसे ,
उस सफलता की तकदीर मैं हमारी लकीर खींचनी चाहिए !
क्यों मैं अपनी काबलियत का सरे राह ढिंढोरा पिट्वाऊँ,
अपने हिसाब से शोहरत मुझे खुद-बी-खुद मिलनी चाहिए !
क्यों हाथ मैं लेकर डिग्रियां दफतरों के चक्कर मैं काटू ,
तो क्या घर बैठे ही नहीं मुझको नोकरी मिलनी चाहिए !
मेरी भी तो तम्मनाये आसमां मैं उड़ने की है कबसे ,
ज़िन्दगी निकल ना जाये अब तो पर निकलने चाहिए !
समुन्द्र में लगा कर गोते मैं गहराइयों से मोती निकल लाऊं ,
सांस लेने की गहराइयों में मुजको मोहलत मिलनी चाहिए !
है सपनो का छोटा सा आसमां ,मगर चाहते है बड़ी बड़ी ,
बस जमीं पर लाने को उनको इक होंसला चाहिए !
में बना सकता हु इक जहाँ उजालों का " सागर " ,
साथ चल सके मेरे ऐसे मुझको हमसफ़र तो मिलना चाहिए !
है  मुझमे भी क़ाबलियत हूँ  में भी तो हुनर वाला मगर ,
पैसों से ही तो सिर्फ हमारी नहीं सूरत मिलनी चाहिए !
पैसों से ही तो सिर्फ हमारी नहीं सूरत मिलनी चाहिए.................................................

अन्दाज- ऐ - शायरी

कागज़ पर गम  को उतारने के अन्दाज ना होते-२
मैं मर गया होता ,अगर शायरी के अल्फाज ना होते है !
पंख थे  मगर उड़ने की चाहते ना थी-२
होंसले मर गए होते अगर देखे मैने ये परवाने ना होते !
मुझे था पता की तू थी बेवफा लेकिन-२
तुजे चाहता नहीं अगर तुजमे वफ़ा के अन्दाज ना होते !
मुजको होता केसे मालूम दोस्ती होती है क्या -२
मुजको चोट करने वाले सुरत - ऐ -दोस्त अदू ना होते !
मैं था बड़ा बदनाम ,इतना मशहुर ना होता -२
वीरानो मैं शहर दिलजलों के अगर आबाद ना होते !
तुझे कोन कहता शायर ,तेरी शायरी कोन सुनता-२
अगर दिल मैं तेरे सागर ये आज़ाब ना होते !
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2010/11/26

लिखना है वो जो मिट न सके ................

मेरी हसरतो को सुन कर अक्सर लोग हँसते है
पर उनकी नादानी पर हम मुस्कुरा न सके
उसने जो लिखा वो लिख कर भूल गया "सागर "
मुझ को तो वो लिखना है जिसको वो भूला न सके

2010/11/25

मोहब्बत

तेरे दिल मैं हूँ मैं इक आरज़ी की तरह -२
आँखों मैं छुपा ले पलकों की हिफाजत दे दे !
तेरे दिल को बना लू मैं सराय अपनी -२
वक़्त-बे-वक़्त  आम्दोरफत की इजाजत दे दे !
मेरी गलतियों को मुआफ करके मुस्कुराना बस -२
आँखों से न बहे आंसुओ को ये हिदायत दे दे !
तू जो चाहता है मैं वो तुझको ला क दूंगा -२
बस घडी भर की मुझको मोहलत दे दे !
हर रास्ते पे चलूँगा मैं साथ साथ  तेरे -२
करके वादा मेरी बनजा इतनी सी बस इनायत दे दे !
मैं नहीं मांगता तुझसे बस और जयादा - २
मेरी बावफाईयों  की मुझको अदावत दे दे !
तुझ से क्या माँगू मैं अपने दिल की ज़ानिब -२
करदे सरोबार  " सागर " को इतनी मोहब्बत दे दे !

सफ़र शायरी का

" सफ़र शायरी का कहा तक जायेगा ,
तेरे साथ चलेगा या ठहर जायेगा !
मत कर परवाह किसी की सागर  ,
जिसको आना होगा वो आएगा !     "

तेरी आँखों का नशा

कोई न कोई तो मेरा नासूबुर होगा-२
आज नहीं कल नहीं परसों जरूर होगा !
तेरे हुस्न का है चर्चा हर तरफ -२
लेकिन,हमसा नहीं कोई कही ये भी गुरूर होगा !
और ,हो भी क्यों न -हो भी क्यों न 
तू सख्सिअत ही है ऐसी   !
जिस तरफ से गुजरे बस तेरा सुरूर होगा

हम तो बस बैठे है की तीर सीने पे कोई मारे -२
कतल नजरो से करने का तेरा भी दस्तूर होगा !
तू नजर उठा के तबियत से जो दख ले -२
न रगों मैं खून होगा न सीने मैं जिगर होगा !
ऐ काश के तुजसा चस्म-ऐ-मस्त साखी मिले मुझे -२
" सागर " नहीं पीता मगर नशे मैं जरूर होगा !

2010/11/24

ज़िन्दगी सागर की

हुआ है क्या आबो हवा को मुतसिर है किससे-२
ज़नाब के तेवर भी कुछ बदले -बदले से नजर आते है  !
हरारत है महसूस करो इन खुनक रातों मैं -२
मेरी मफरूजो मैं कोन ज़ज्ब हुए जाते है !
ये किसके अरमान मचलते है खुद को मिटने को -२
मेरी नस-नस मैं कोन शीर-ओ-शकर हुए जाते है !
है गुल बड़े , रुख बहुत , आबाद दुनिया -२
फिर ये परवाज क्यों मेरे सिकस्त-ऐ-दिल की तरफ आते है !

बाज़ दफा ऐसा हुआ की वह्सत होती है -२
वो नहीं दिखता और हम बेसब्र हो जाते है !
नजरो को नहीं ऐतराफ उसके बिना कोई-२
है किसको खबर कब शाम-ओ-सहर आते है !
उसके आने से लब हो जाते है बैनवा-२
धड़कने रुक जाती है , हम ठहर जाते है !
उसकी मोहब्बत को छुपाऊं कैसे ज़माने से -२
मेरी आँखों मैं वो ,बस वो ही वो नजर आते है !

कुछ दिल पे ,कुछ माथे पे ,कुछ सीने पे लगते है -२
उसकी नजरो के तीर जाने कहाँ-कहाँ जाते है !
अपनी तो ज़िन्दगी है उसके इशारो की मोहताज " सागर "-२
पलके उठाये तो जीते है गिराए तो मर जाते है !

दिल की आरजू

दिल की आरजू दिल मैं दबती रही....
आंसुओं से मेरी तन्हाई धुलती रही....
मैं मांगता रहा उससे अपने प्यार की भीख ;
कुछ असर न हुआ वो बस सुनती रही ..........
कोई मुझको पानी न पिलाने आया ;
प्यास भूजी नहीं पर जिन्दगी भुजती रही .........
टूट गयी डालियाँ आखीर कब तलक सहन करती ;
फल लगते रहे डालियाँ झुकती रही.........,
सड़क के किनारे जिंदगियां ख़त्म  हो गयी ;
लोग चलते रहे ; रह चलती रही..........,
तेरे आने की चाह ख़तम न हुयी ;
लाश जर गयी नब्ज चलती रही........,
किसी को आरजू हो के न हो मुजको तो है;
सब ने छोड़ा साथ मेरा मगर आरजू मेरे साथ रही ..,
ऐ खुदा तुझसे डरता नहीं मैं ;
इक मेरी न हुयी काबुल औरों की दुआ होती रही......
मेरे दिल की आरजू एक बार सुन तो लेना ऐ सागर
मैं मर नहीं पाऊंगा अगर ये जीती रही..............