2019/10/27

।। हैप्पी दीवाली ।।

नफ़रत, द्वेष, क्रोध, दुश्मनी का हिसाब कर रहा हूं।।
में इस दीवाली मन का कोना कोना साफ़ कर रहा हूं।।
अगर तुमको भी हो मेरे किसी कथनी करनी का दर्द;-२
बता देना में अपनी मोहब्बत के बैलेंस का चेक भर रहा हूं।।
मेने किसी दिन जो तुमको कुछ बुरा भला कह दिया हो।
निकाल देना अनार गुस्से का में माचिस लिए खड़ा हूं ।।
दिए रोशनी के मेने जला लिए है दीवाली मनाने को,
तुम आ जाना जो कोना अंधेरा लगे ढूंढ कर रख रहा हूं।।
दीवाली छोटी और बड़ी भले कुछ इतिहास रहा हो सागर ।।
दिल खोल कर रख दिया दीवाली आज बड़ी मना रहा हूं।।
आ जाओ सभी दीवाली के दिए आज जला रहा हूं।।
मोहब्बत के अनार, प्यार की फुलझड़ी, ख़ुशी
की आतिशबाजी चला रहा हूं।
में करके हर मैल साफ दिल का, दिल से दीवाली मना रहा हूं।।
आज सब भुला के में दीवाली मना रहा हूं, खुशहाली मना रहा हूं।।



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2019/10/21

किताब ए इश्क़।।

मेरे लबों पे हंसी देख के मेरे हाल जान लेने वालों।
ग़म की दीवारों पर मुस्कुराता गुलाब रखा है।।
मेरे शौक है अमीरी के, दिल से अमीर हूं।
जिन्दगी के हर कर्ज का हिसाब रखा है।।
मुझे छोड़ कर अपने हाल में जो चले गए थे तुम।
दिल की दीवारों पे वो वक़्त, वो लम्हात लिखा है।।
ये भी मुमकिन था तुझे मांग कर अपना बना लेता।
मेरी क़िस्मत में बिछुड़ना बेबात लिखा है।।
और जो मील भी गए कुछ लम्हों के लिए हम ।।
कर देंगे जुदा हमको सागर , ये उसूल ए इस्क की किताब लिखा है।।

2019/10/10

मोहब्बत की मलकियत

मुझको आवाज में उसकी कोई गर बुला लेता।।
में अपने उसूलों कि किताबे भी जला देता।
मुझे उन अजनबी लोगों से कोई तकलीफ़ ही ना थी।
वो दोस्तों की तरह ना सही दुश्मनी ही निभा लेता।।
कब मेने उसको अपनी मलकीयत जताई थी।
भले वो गैर की बाहों में था तो मेरा क्या चला जाता ।
हमने तो बस मुहब्बत की उसे अपना जान कर।।
जो उसको था पसंद में भी उसको अपना बना लेता।।
अरे जब उसकी खुशी में उसकी एक रजा नहीं तोड़ी?
क्या हिम्मत थी हमारी उसकी बात से आगे चला जाता।
जुदा होने में और बिछड़ने में बस फर्क है इतना,
वो कह देते प्यार से सागर और में महफ़िल से चला जाता ।।

2019/10/08

रावण

में रावण हूं मुझे एक सोच कहते है।
मुझे जला देना बेशक मगर क्या मार पाओगे ।।

अपने भीतर झांक कर देख लेना सागर ।
खुदकुशी इस देश  में गैर क़ानूनी है।।