2011/02/20

मन्दिर-ऐ-दिल

वो काफ़िर नहीं जो नाम खुदा का नहीं लेता;
काफ़िर तो वो है जो इन्कार मोहब्बत से करता है !
नसीब तुझे जन्नत होगी या नहीं क्या पता ;
जन्नत बनी है उसके लिए जो प्यार करता है !
खोट दिल मैं है तो लाख कोशिशे कर ले ,
तू मुखातिब न हो सकेगा जो प्यार दिल से करता है !
साथ महबूब का मिले तो भले ये दुनिया छूटे ,
सिर्फ सोचता है उसको,फ़िक्र महबूब की करता है !
न मंदिरों मैं भगवान्,मस्जिदों मैं कहाँ खुदा मिलता है ;
वो तो प्यार करने वालों के मन्दिर-ऐ-दिल मैं रहा करता है !
अजीब है " सागर " भी ऐ ज़माने वालों दीवाना ;
खाया है धोखा फिर भी मोहब्बत किया करता है !
 





2011/02/09

ज़िन्दगी क्या है.................

ज़िन्दगी क्या है ,इक आभाव है
वस्तुओं का , कामनाओ का , इच्छाओं का ,
या के बहाव है  भावनाओ का ,
कभी क्रोध  के रूप मैं ,कभी प्यार के रूप मैं
ज़िन्दगी दर्द है ,
कुछ नहीं होने का ,कुछ ना कर सकने का ,
ज़िन्दगी लालसा है ,
विचार है कुछ पाने का , कुछ हासिल करने का 
या के ज़िन्दगी है नाम जीने का ,आपनी आजादी के साथ
मगर कहा है आजादी ,कहा है जीवन,
ज़िन्दगी नाम है तड़प का ,जलन का ,
किसी को पाने कि तड़प ,किसी को खोने कि जलन,
या के जिन्द्की सपना है ,सब कुछ भूल जाने का ,
जो है उसको पाने का ,जो नहीं है उसके लिए आंसू बहाने का ,
ज़िन्दगी हकीकत है ,या के इक कल्पना है ज़िन्दगी,
हाथ लगा के उसको छू के देखूंगा कभी ,
ज़िन्दगी मेरे विचारो का संकलन मात्र है,
या के किसी और का संग्रह चुरा के बैठा हूँ मैं ,
ज़िन्दगी है कोई रिश्ता ,माँ का बाप का ,
या रिश्ता है दोस्ती का ,भाई का ,
जो चलेगा साथ जब तक तू चलेगा ,
तेरे साथ ही हो जायेगा दफ़न जमीं मैं,
या के ज़िन्दगी छितिज पे मिलता कोई किनारा है ,
तेरी उमीदों का धरातल जहा तेरा घर है,
जहाँ  सांस लेता है तू चैन से,
 बैठ कर आराम करता है ,
मगर जब याद आता है कि काम करना है बहुत ,
जवाब देना है ज़िन्दगी देने वाले को ,
तो समेट  कर सारी पोटली अपनी ,
जिसमे ज़िन्दगी के मायने सहेज रखे है ,
क्या मिला ,क्या खोया ,ज़िन्दगी है क्या ,
ये बताने चल पड़ता है ,ना जाने कहा !
दूर किसी डगर पार अनवरत चल पड़ता है
मगर जवाब अभ भी नही है ,
ज़िन्दगी क्या है ,ज़िन्दगी क्या ,
ओर मौत आके ले जाती है तुझे तेरे
जज्बात ,कल्पनाएँ ,रिश्ते,क्रोध ,प्यार सब कुछ
वही पर छोड़ कर वैसे ही छोड़ कर,
रोते बिलखते ,सब्द हिन् ,
और छोड़ जाता है इक सवाल,
ज़िन्दगी क्या है..............................

2011/02/07

ये गीत पुराना है

ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है ,
इक गया है इक को आना है,
कल वो भी नया था जो आज पुराना है,
क्यों दोष दे किसी को ,
जब ये चलता है ये ही चलाना है ,
इक उठता है ,इक जमता है ,
ये ही तो जमाना है !
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
तुम ही तो कहते थे भगाओ इसको ,
मुझको भी तो आना है,
मैं नया हूँ  ; बिलकुल नया हूँ ;
ये तो पुराना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
आया है जो सामने से ,
चुपके भी तो आ सकता था  ,
है पुराना लेकिन;
नया बन के भरमा सकता था ,
लेकिन कब तक ,
कब तक वो राग नए गा पता ;
आखिर सब समझ जाते .........
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
जाना है वैसे भी उसको जो पुराना हो गया है ,
बस उसको ये समझना है ,
फिर तुमको आ जाना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !
पर ये ना समझना कि तुम शास्वत हो जाओगे ,
तुम नए हो ;
पर कल पुराने हो जाओगे ,
जैसे ये जायेगा कल  तुम को भी जाना है ,
ये गीत पुराना है ,ये राग पुराना है !

2011/02/05

आग

धुंआ नहीं उठता और आग जल जाती है -२ ,
इश्क ऐसी भट्टी है ,जो सब कुछ निगल जाती है !
तेरे,मेरे चाहने से  ना जलती है ,ना भुजती है -२ ,
अपने आप सुलग जाती है ,यूँ ही जल जाती है !