2010/12/23

याद ना आया किजिये

हर किसी को नजरों से गुजरा कीजिये ,
चेहरों के नकाब भी उतरा कीजिये !
ज़िन्दगी भर का दे जाये गम कोई ,
ना विश्वास किसी पे इतना सारा किजिये !

कहते है गुस्सा आदमी को मार देता है ,
गुब्बार दिल का कभी कभी निकला किजिये !
दर्द हो सीने मैं तो ज़िन्दगी नहीं कटती ,
हर दर्द का अपनों से बंटवारा किजिये !

डगर है लम्बी सफ़र अकेले ना आसां होगा ,
संग चलने को अपने दोस्त बनाया किजिये !
होंगे रस्ते काँटों के ,तो होंगे फूल भी मगर ,
डर के मुस्किलों से ,ना मंजिलों से किनारा किजिये !

ज़िन्दगी मैं बहुत कुछ कहना सुनना पड़ता है ,
हर बात को सीने से ना लगाया किजिये !
हम तन्हा है हमें और तन्हा ना करो ,
हमें इस कदर भी तो ना याद आया किजिये !

हमारे दिल की धड़कन तो ठहर गई लेकिन ,
आप तो बस इस कदर मुस्कुराया किजिये !
हम मर गए इसका हमें गम नहीं " सागर ",
आके कब्र पे मेरी आंसूं ना बहाया किजिये !

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