2010/12/25

रिश्ता

यूँ छिप छिप के जीने से अच्छा ,
अपनी ज़िन्दगी को अंजाम देते है !
बहुत हो चुकी इशारों मैं बाते ,
अपनी चाहतों को अब जुबान देते हैं !
भागते भागते थक गए जमाने से ,
आ अपनी साँसों को थोडा आराम देते है !
हमे डर ज़माने का अब और नहीं रखना ,
हमें है मोहब्बत आ बता सरेआम देते है !
तेरे साथ हर कदम चलना चाहता हूँ मैं ,
आ हाथ इक दूजे का थाम लेते है !
आ हो जाये इक दुसरे हमेशा के लिए हम ,
रिश्ते को अपने प्यारा सा नाम देते है ! 


                       सागर मल शर्मा " शरीफ "


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