2010/12/17

नियत

******************************************    
     फूलो ने नजाकत में ढलना छोड़ दिया ,
     काँटों ने भी धुप में जलना छोड़ दिया ,
     इल्जाम जब से मसले फूलो का माली पे आया ;
    फूलो ने बागानों में खिलना छोड़ दिया !


     हर सख्स कि है सोच अपनी अपनी ,
     और सोच पर भारी दुनियादारी यहाँ ,
     नियत इस कदर गिरी है दुनिया वालो कि ,
     संग अपनों के लोगो ने चलना छोड़ दिया !

*****************************************

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है...
आपकी टिप्पणियाँ मार्गदर्शक बनकर मुझे प्ररित करती है.....
आभार ..........