2010/12/16


क्यों दिल के सोये अरमान जगा रहे हो ;
हम चाहते है भूलना क्यों सामने आ रहे हो,
तू नहीं हासिल तुझको सपना बना रखा है ;
देखते है तुझे खवाबों में ज़माने से छुपा रखा है !

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