सूरज भी आख़िर डूब जाता है !! मगर ये सिखाता है ,
मेरे डूबने में क़सूर मेरा ,मेरे डूबने में किसी का हाथ नहीं ,
में कल भर के सीने में हौंसला फिर से निकलूँगा ‘सागर’ भले कोई आज मेरे साथ नहीं,
में ख़ुद ही डूब जाता हूँ ,अगर डूब सकता है कोईं अहंकार को आपने मार को कर , उसका तेज रहेगा सदा इस साँच में कोई आँच नहीं !!
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