धनतेरस क्या है इसे क्यों मनाया जाता है ?
मान्यता है कि धनतेरस यानी कि कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के ही दिन भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था। यही वजह है कि धनतेरस के दिन आयुर्वेद के जनक कहे जाने वाले धनवंतरि का भी जन्मदिन मनाया जाता है।शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसी मान्यता है कि भगवान धनवंतरि भगवान विष्णु के अंशावतार हैं। सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरि का अवतार में जन्म लिया था। भगवान धनवंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।धन से धनतेरस का क्या सम्बन्ध है ? एवं इसे स्वस्थ्य के स्थान पर धन से समन्धित त्यौहार क्यों मानते है ?
इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से पूरी पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ दे दिया और इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। चूँकि इस दिन देवताओं को उनका खोया हुआ धन वापस मिल गया था इसे एक धन प्राप्ति दिवस क रूप में मनाया जाने लगा |
दूसरा एक कारन यह भी है क्यूंकि हिन्दू धर्म में लक्ष्मी माता को धन अवं स्वस्थ्य दोनों की देवी मन जाता है अवं इस दिन लक्ष्मी माता की भी पूजा की जाती है जैसे जैसे समय बीतता गया लोगो ने इसको सोना चांदी एवं अन्य कीमती वस्तुएं खरीदने के महोत्सव में परिवर्तित कर दिया |
धन्वंतरी देवता कौन है ?
धन्वन्तरि हिन्दू धर्म में विष्णु अंश अवतार देवता हैं। वे आयुर्वेद प्रवर्तक हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतारधन्वन्तरि हिन्दू धर्म में विष्णु अंश अवतार देवता हैं। वे आयुर्वेद प्रवर्तक हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था।
भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे की जाती है ?
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा से सेहत लाभ मिलता है. उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा की चौकी लगाकर उसपे श्रीहरि विष्णु की मूर्ति या फिर धन्वंतरि देव की तस्वीर स्थापित करें. उत्तम सेहत और रोगों के नाश की प्रार्थना कर 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः का 108 बार जाप करें
भगवान धन्वंतरि का पूजन मुख्य रूप से क्यों किया जाता है ?
भगवान धन्वंतरि का नित्य स्नान से निवृत्त होकर पूजन करने के वैद्यों को चिकित्सा कार्य में निश्चित रूप से यश प्राप्त होता है तथा आमजन को नित्य प्रति-पूजा-अर्चना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। अत: हर मनुष्य को पूजा स्थान में धन्वंतरि को स्थापित कर नित्य पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
क्या धनतेरस क दिन होम (हवन) किया जान चाहिए ?
बिलकुल ,भगवान धन्वंतरि: भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए, धन्वंतरि मंत्र जप और होम किया जाता है। वह एक हाथ में औषधीय जड़ी बूटियों और दूसरे हाथ में अमृत युक्त एक बर्तन के रूप में प्रकट हुए। यह होम खराब स्वास्थ्य को दूर करने की शक्ति रखता है और जब यह होम किया जाता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा और सद्भावना भी फैलाता है।
धनवंतरी का अर्थ क्या है ?
धन्वन्तरि नाम का अर्थ "देवताओं के चिकित्सक" होता है।
आयुर्वेद का जनक कौन है ?
आयुर्वेद के जनक हैं भगवान धन्वन्तरि है |
धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता क्यों हैं ?
आयुर्वेद की मूल अवधारणा मूल रूप से धन्वंतरि से जुड़ी हुई है, जिन्हें हिंदू चिकित्सा का देवता माना जाता है । धन्वंतरि को एक पौराणिक देवता माना जाता है जो एक हाथ में अमृत और दूसरी ओर आयुर्वेद के साथ दूध सागर मंथन के अंत में पैदा हुए थे।
धनतेरस के दिन बर्तन क्यों खरीदते हैं ?
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सागर मंथन से भगवान धन्वंतरि की उत्तपन्न हुए थे। भगवान धन्वंतरि के ठीक दो दिन बाद महालक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट हुई थीं। जब भगवान धन्वंतरि आए थे तो उनके एक हाथ में कलश था, इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है।इसलिए है बर्तन खरीदने की परंपरा है |
हिंदू धर्म में स्वास्थ्य के देवता और किसे मन जाता है ?
लक्ष्मी धन, स्वास्थ्य और उर्वरता की हिंदू देवी हैं। वह वह ऊर्जा है जो इस सृष्टि को शक्ति प्रदान करती है। अपने कई रूपों में, वह हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करती है। उनका 'अष्टलक्ष्मी' अवतार एक साधक को जीवन में आठ प्रकार के धन को खोजने में मदद करता है।
देव वैद्य कौन थे ? क्या आयुर्वेद वेदों से आता है ?
भगवन श्री धन्वन्तरि को देव वैध कहा जाता है वही आयुर्वेद के प्रवर्तक और यज्ञभोक्ता धन्वंतरि के नाम से सुप्रसिद्ध हैं। इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। अमृत वितरण के पश्चात देवराज इंद्र की प्रार्थना पर भगवान धन्वंतरि ने 'देव वैद्य' का पद स्वीकार कर लिया। आयुर्वेद की उत्पत्ति का श्रेय अथर्ववेद को दिया जाता है जहाँ उनके उपचारों के साथ कई बीमारियों का उल्लेख किया गया है।आयुर्वेद कौन से वेद में है? आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद कहा जाता है।
धन्वंतरी भगवान की पूजा कैसे होती है ?
पूजन के दौरान देवी-देवताओं को फूल, अक्षत, धूप, दीप, भोग अर्पित करें. इसके बाद भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें. इसके अलावा शाम के समय प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाएं और धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें
धनतेरस के दिन कौन सा बर्तन खरीदना चाहिए ?
धनतेरस के दिन धातु जैसे शुद्ध सोना, चांदी, तांबा, पीतल का खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन इन चीजों को खरीदने से भगवान कुबेर का आशीर्वाद मिलता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन आप झाड़ू भी खरीद सकते हैं। क्योंकि झाड़ू देवी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है।
लोग धनतेरस पर सोना क्यों खरीदते हैं?
हिंदुओं का मानना है कि भगवान धन्वंतरि के साथ, देवी लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी के रूप में भी जाना जाता है, घर में धन लाने, आय के अवसरों को बढ़ाने, व्यापार की संभावनाओं के साथ-साथ समृद्धि के लिए भी आती हैं । सोना और अन्य कीमती धातुओं को शुभ और सौभाग्य और समृद्धि का अग्रदूत माना जाता है।
धनतेरस के दिन क्या खरीदना शुभ माना जाता है ?
धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन, धनिया, झाड़ू आदि खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस दिन नमक भी अवश्य खरीदना चाहिए.
इन गलतियों से भी बचें :-
धनतेरस के दिन नई झाड़ू लाई जाती है क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. झाड़ू घर के दरिद्र को हटाती है. इस दिन झाडू पर पैर न रखें.
मांस-मीट, शराब आदि का सेवन न करें. इसे अशुभ माना जाता है. इनसे घर में बरकत नहीं आती. इसके अलावा किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए. घर का माहौल खुशहाल रखना चाहिए.
धनतेरस के दिन लोग बर्तनों की खरीद करते हैं. अगर आप भी बर्तन खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो कांच के बर्तन या डिनर सेट बिल्कुल न खरीदें. कांच का संबन्ध राहु से माना गया है. इस शुभ दिन पर राहु से जुड़ी चीजों को घर नहीं लाना चाहिए. इससे घर में तनाव की स्थितियां पैदा होती हैं. खर्चे बढ़ते हैं और दरिद्रता आती है.
कैंची, चाकू, सुई या किसी भी तरह की नुकीली चीजों को धनतेरस के दिन घर में खरीदकर नहीं लाना चाहिए. ये चीजें क्लेश की वजह बन सकती हैं. जहां अशांति रहती है, वहां कभी लक्ष्मी का वास नहीं होता है.
चीनी मिट्टी के शोपीस, बर्तन आदि को भी धनतेरस के दिन नहीं लाना चाहिए. इन चीजों को घर में लाना शुभ नहीं होता है. इन चीजों में स्थायित्व नहीं होता. ये चीजें कभी भी टूट-फूट सकती हैं. ऐसे में इनसे कभी बरकत नहीं आती. धनतेरस के दिन इन्हें कभी भी घर में नहीं लाना चाहिए.
लोहे का संबन्ध शनि से माना गया है. धनतेरस के दिन लोहे से जुड़ी कोई भी चीज खरीदने से बचना चाहिए. इससे आपके घर में आर्थिक हानि हो सकती है. इसके अलावा एल्युमीनियम से जुड़ी चीजों को भी खरीदने से बचना चाहिए. एल्युमीनियम का संबन्ध भी राहु से माना गया है.
अति सुन्दर
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