2011/04/29

दोस्ती का सिला..........

उम्र के लिए शिकवा और गिला दे दिया ;
दोस्तों न दोस्ती का सिला दे दिया .......
मांगी थी ख़ुशी कुछ पल के लिए ;
उम्र भर के गमो का काफिला दे दिया .....
वो जो पीते थे जाम,मैयखानों  में साथ ;
भर के जहर का पैमाना  दे दिया .......
दुश्मनों से क्या  शिकायत करे   ;
दोस्तों न ही शिकायत का  मौका दे दिया .....
जिस को बताया राज परदे के पीछे का ;
उसने ही राज को बेपर्दा कर दिया .......
हर किसी पे नजर थी मेरी महफ़िल में ;
कंधे पे रख के हाथ छुरा घोंप दिया ............
मैं कहाँ  मरने वाला था सागर .;
जान थी जिस पंछी मैं मेरी वो ही मर गया  ...........



2011/04/10

है मोहब्बत कितनी तुझ से..............

देखे न और कोई तुझे मेरे सिवा मैं ये चाहती हूँ ,
तुझे छुपा के ज़माने से;सीने से लगाना चाहती हूँ ,
तू रहे सदा मेरा बन के ,और रहे मेरे दिल के करीब,
तुझ को देख कर जीना ,तेरे सामने ही मर जाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

दिल के आरमान जाने तेरे साथ कहा जाने को कहते है ,
हाथ पकड़ के साथ तेरे आसमानों मैं उड़ जाना चाहती हूँ ,
तेरी बन के जीना ,तेरी ही मर जाना चाहती हूँ,
तू आजमाए न आजमाए; मैं खुद को आजमाना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

मैं तन्हा हूँ तेरे बिना ,मेला भी विराना सा लगता है ,
तूं नहीं होता तो हमको सारा जहाँ बेगाना सा लगता है ,
बीना तेरे जीना,सोच कर भी कांप जाती हूँ मैं ," सागर "
सारी जिन्दगी साथ तेरे ;तेरी हो के बिताना चाहती हूँ,
है मोहब्बत कितनी तुझ से ये बताना चाहती हूँ !

2011/04/03

किस्सा नए जूतों का

घूमने निकले हम बाज़ार में इक दिन ,
चमक रहे थे नए नए जूते हमारे पाँव में !
चमकते जूतों को देख कर मित्र हमारा हैरान होकर बोला,
चप्पल की जगह जूते ? क्या है भईया  गड़बड़ झाला ?.....
अरे ओ दया के पात्र कविराय,क्या कविता कहीं कोई बेच आये हो ?
तभी तो टूटी चप्पल छोड़ कर ,नए जूते पहन आये हो !
मैंने कहा भईया आजकल सलाह देने वाले बहुत है ,
मेरी कविता भले क्यों ख़रीदे कोई,मरने को तो जरिये और बहुत है !!
किसी नैक दिल श्रौता की सलाह का परिणाम है ,
जिसकी वजह से नए जूतों पे मेरा नाम है !
उसने पूछा ऐसी कोन सी सलाह दे दी जो निहाल हो गए ?
जिससे गंगू तेली से राजा भोज जैसे हाल हो गए !
हमने कहा किसी ने सलाह दी हमको 
की हे कवि क्यों गलियों में मारे- मारे  फिरते हो ?
किसी कवि समेलन में क्यों नहीं मरते हो ?
उसने पूछा फिर ?
हमने बताया फिर क्या
किसी ने  कवि सम्मलेन है कही पर ऐसा बताया ,
हम पहुँच गए वहां पर और भाग्य आजमाया !
बारी जब हमारी आई तो हमने आपना हुनर दिखाया ,
जैसे ही हमने कविता पाठ सुरु किया ; हमने पाया !
इस महान कवि का कोई सम्मान नहीं करता था ,
एक जूता या एक चप्पल ही फेंका करता था  !
अंडे टमाटर भी कुछ तो फूट जाते ,और कुछ ही काम आते थे ,
रोटी के ही लगते थे ,सब्जी के तो पैसे बच जाते थे !
उस दिन किसी श्रौता ने पहली बार बुद्धिमता दिखाई ,
दोनों जूते फैंक कर किस्मत मेरी जगाई ,भईया लाखो दुआएं पाई !
ये थी सारी कहानी जो हमने " सागर "तुमको सुनाई है ,
इसी लिए कवि की ये सवारी नए जूतों के साथ आई है !