2010/12/22

कभी कभी

वक़्त ने किये है जो सितम,आज भी है मेरे साथ ,
घाव बनकर दुखते है ,रिसते है वो कभी कभी !
वो पल जो तेरे साथ गुजरे ,याद आते है मुझे,
पीड़ दर्द-ऐ -दिल कि आँखों से बह जाती है कभी कभी !
कभी मौज बनकर कभी गर्म हवा का झोंका बनकर ,
कर्ज बनकर सताते है ;रहम ज़िन्दगी के कभी कभी !
क्या है तुझमें कि अब तलक नहीं भुला पाए तुझे ,
याद करके नाम तेरा गुनगुनाते है कभी कभी !
है कौन और मेरा अपना जो मुझ को हिचकियाँ आती है ,
है बात कुछ कि याद मुझको अब भी करते है वो कभी कभी !

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