2010/12/08

दर्द के दो आंसू

दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,
मेरी तन्हाइयो का साथ निभाने अक्सर चले आते है ,
मेरे आस पास घूमते है,टहलते है, चहल कदमी करते है,
और फिर लोट जाते है मेरे दिल के अँधेरे कोने में ,
मेरी आत्मा बैठी है जो कोने में कचोटते है उसको ,
उजाला जो फैला है छोटी सी बाती का ...........फूँक मार कर भुजाना चाहते है,

दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,


दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,
मेरे शरीर पर यादो के निशाँ घाव बनकर रह गए है ,
उन निशानों पर गिरकर ये जलाते है उनको ,
कभी कभी सूख जाते है ,नहीं दिखते ,
कभी सुबकियों के साथ बहते है अनवरत ,
लगता है घावों पर नमक छिड़का किसी ने अभी अभी ,
दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ..................


दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,
कभी हंसी आने लगती है कभी खिलखिलाते है ,
कभी जख्मी दिल कि दीवारों को खरोचते है ,
पसीने में धुल जाते है,कभी मिल के बहते है ,
गालों पे निशान उफनी नदी सा बनाते  है ,
आँखे सूज जाती है जैसे समुन्द्र में डेल्टा बनते है ,
दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,



दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है ,
भूल जाता हूँ कभी कभी दर्द ढूख सारे कभी,
ज़िन्दगी आगे बढ़ने के लिए कहती है ,होंसला बढाती है ,
कभी लगता है ये आंसू मुझे सहारा देते है ,
मेरे दर्द का कारण बता कर,मेरी मंजिल कि याद दिलाते है ,
प्यासे होंठो को गीला कर के प्यास भूजाते है ,
दर्द के दो आंसू ,मेरे आस पास रहते है , दर्द के दो आंसू .......................

2 टिप्‍पणियां:

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