दिल की आरजू दिल मैं दबती रही....
आंसुओं से मेरी तन्हाई धुलती रही....
मैं मांगता रहा उससे अपने प्यार की भीख ;
कुछ असर न हुआ वो बस सुनती रही ..........
कोई मुझको पानी न पिलाने आया ;
प्यास भूजी नहीं पर जिन्दगी भुजती रही .........
टूट गयी डालियाँ आखीर कब तलक सहन करती ;
फल लगते रहे डालियाँ झुकती रही.........,
सड़क के किनारे जिंदगियां ख़त्म हो गयी ;
लोग चलते रहे ; रह चलती रही..........,
तेरे आने की चाह ख़तम न हुयी ;
लाश जर गयी नब्ज चलती रही........,
किसी को आरजू हो के न हो मुजको तो है;
सब ने छोड़ा साथ मेरा मगर आरजू मेरे साथ रही ..,
ऐ खुदा तुझसे डरता नहीं मैं ;
इक मेरी न हुयी काबुल औरों की दुआ होती रही......
मेरे दिल की आरजू एक बार सुन तो लेना ऐ सागर
मैं मर नहीं पाऊंगा अगर ये जीती रही..............
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
Lovely poem.. deep thoughts n deeper meaning.. hope i understood to da fullest.. :)
जवाब देंहटाएंwah mere lal..
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