2010/11/24

दिल की आरजू

दिल की आरजू दिल मैं दबती रही....
आंसुओं से मेरी तन्हाई धुलती रही....
मैं मांगता रहा उससे अपने प्यार की भीख ;
कुछ असर न हुआ वो बस सुनती रही ..........
कोई मुझको पानी न पिलाने आया ;
प्यास भूजी नहीं पर जिन्दगी भुजती रही .........
टूट गयी डालियाँ आखीर कब तलक सहन करती ;
फल लगते रहे डालियाँ झुकती रही.........,
सड़क के किनारे जिंदगियां ख़त्म  हो गयी ;
लोग चलते रहे ; रह चलती रही..........,
तेरे आने की चाह ख़तम न हुयी ;
लाश जर गयी नब्ज चलती रही........,
किसी को आरजू हो के न हो मुजको तो है;
सब ने छोड़ा साथ मेरा मगर आरजू मेरे साथ रही ..,
ऐ खुदा तुझसे डरता नहीं मैं ;
इक मेरी न हुयी काबुल औरों की दुआ होती रही......
मेरे दिल की आरजू एक बार सुन तो लेना ऐ सागर
मैं मर नहीं पाऊंगा अगर ये जीती रही..............

2 टिप्‍पणियां:

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