बात कहना चाहता हूँ तुजसे मगर तू होती नहीं है !
दीपक जला देने से भी रोशनी होती नहीं है!
अंधेरा सा होता है मगर में रह लेता हूँ अकेला,
तेरे बिन रोशन होकर भी जिंदगी रोशन नहीं है !
गुस्से से,प्यार से हर तरह से बोल कर देखा मैंने सागर!
में हर बार रूठ कर गया हूँ तू बुलाती नहीं है!
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