इतनी मोहब्बत मुझे मेरे मरने पे मिली , इसी लिए जाता हूं,
दर्द गहरा है मगर मुझे मेरे मरने का कहां गम है।।
ये जो में छोड़ जाता हूं ना रोती हुई नजरें कई।।
उनका जुदाई का दर्द मेरे दर्द से कहीं कम है ।।
सलाम इरफान भाई।।।
मेरे विचारों की,दिल के अरमानो की,सपनो की जो अठखेलियाँ करते आ जाते है,कभी मेरी आँखों में,और टपक पड़ते है कभी आंसू बनकर,कभी खिल जाते है फूल बनकर मेरे दिल के आँगन में,कभी होठों पे मुस्कराहट बन के आ जाते है,कभी बन जाती है आवाज मेरी जब हो जाता हूँ में बेआवाज ,तब होती है इन शब्दों के समूहों से अभिव्यक्ति;अपनी भावनाओ को,अपने दिल के अरमानो को लिख कर;प्रस्तुत किया इक किताब कि तरह,हर उन लम्हों को जो है मेरी अभिव्यक्ति,अगर ये आपके दिल को जरा सा भी छू पाए तो मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा...
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