2017/11/07

ख़ुदा।।

मैं ताजमहल बनाकर सहनशाह हो जाऊं।।
मैं हस्पताल बनाकर इंसान हो जाऊं।।
क्यों न मयखाना बनाऊँ और खुदा हो जाऊं ।।

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